छात्र हर हाल में जेईई, नीट परीक्षा चाहते हैं, 17 लाख से अधिक प्रवेश पत्र डाउनलोड हुए: रमेश पोखरियाल निशंक
By भाषा | Published: August 27, 2020 10:51 PM2020-08-27T22:51:49+5:302020-08-27T22:51:49+5:30
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कोविड-19 के मामले बढ़ने के मद्देनजर नीट और जेईई मेन्स परीक्षा को स्थगित करने की कुछ वर्गो द्वारा मांग की जा रही है।
नयी दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बृहस्पतिवार को कहा कि 17 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने जेईई और नीट परीक्षा के लिये अपना प्रवेश पत्र डाउनलोड कर लिया है और इससे स्पष्ट होता है कि छात्र हर हाल में परीक्षा चाहते हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कोविड-19 के मामले बढ़ने के मद्देनजर नीट और जेईई मेन्स परीक्षा को स्थगित करने की कुछ वर्गो द्वारा मांग की जा रही है।
निशंक ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के अधिकारियों ने मुझे बताया कि 7 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने जेईई मेन्स परीक्षा के लिये प्रवेश पत्र डाउनलोड कर लिया है जबकि 10 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने नीट परीक्षा का प्रवेश पत्र डाउनलोड कर लिया है।
इससे स्पष्ट होता है कि छात्र चाहते हैं कि परीक्षा हर हाल में आयोजित हो । ’’ उन्होंने कहा कि मेडिकल और इंजीनियरिंग परीक्षा के करीब 25 लाख उम्मीदवारों में से 17 लाख प्रवेश पत्र डाउनलोड कर चुके हैं । उन्होंने कहा, ‘‘ हमें छात्रों और अभिभावकों से परीक्षा आयोजित किये जाने के पक्ष में ई मेल प्राप्त हुए हैं क्योंकि वे इस परीक्षा की तैयारी दो-तीन वर्षो से कर रहे थे।
उच्चतम न्यायालय का भी विचार है कि पूरे अकादमिक सत्र को बर्बाद नहीं किया जा सकता है। दो बार टालने के बाद परीक्षा को अंतिम रूप दिया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री की यह टिप्पणी तब आई है जब एक दिन पहले ही गैर भाजपा शासित सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार के लिये समीक्षा याचिका दायर करने की जरूरत बतायी थी।
इंजीनियरिंग के लिये संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) या जेईई एक से छह सितंबर के बीच होगी जबकि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-स्नातक) 13 सितंबर को कराने की योजना है । नीट के लिए 15.97 लाख विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है। जेईई मेन्य के लिये करीब 8.58 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया था।
कोरोना वायरस के कारण ये परीक्षाएं पहले ही दो बार टाली जा चुकी हैं । जेईई मेन्स परीक्षा मूल रूप से 7-11 अप्रैल को आयोजित होनी थी लेकिन इसे 18-23 जुलाई के लिये टाल दिया गया । नीट परीक्षा मूल रूप से 3 मई को आयोजित होनी थी लेकिन इसे 26 जुलाई के लिये टाल दिया गया था। इन परीक्षाओं को एक बार फिर सितंबर के लिये टाल दिया गया । यह मुद्दे पिछले कुछ महीने से गहन सार्वजनिक चर्चा का विषय बना हुआ है और इन परीक्षाओं के आयोजन को लेकर अलग अलग विचार सामने आ रहे हैं।
एक वर्ग परीक्षा आयोजित करने के पक्ष में है तो विपक्षी पार्टी और एक वर्ग के कार्यकर्ताओं की मांग है कि महामारी को देखते हुए परीक्षा को आगे टाल देना चाहिए । हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने जेईई मेन्स और नीट परीक्षा को स्थगित करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि छात्रों के बहुमूल्य शैक्षणिक वर्ष को बर्बाद नहीं किया जा सकता । कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों की मांग है कि कोविड-19 महामारी के फैलने और कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए परीक्षा को टाल देना चाहिए।
वहीं सरकार ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उपयुक्त सावधानी बरतते हुए आयोजित की जायेगी । बृहस्पतिवार को ही ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की थी और उनसे कोविड-19 और कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर नीट और जेईई मेन्स परीक्षा रद्द करने का आग्रह किया था । पटनायक ने इस संबंध में निशंक को एक पत्र भी लिखा था । वहीं, 150 शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में देरी करना छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करना होगा । कोविड-19 मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से दोनों परीक्षाओं को स्थगित करने की तेज होती मांग के बीच कई आईआईटी के निदेशकों ने विद्यार्थियों से परीक्षा कराने वाली संस्था पर भरोसा रखने की अपील की।
आईआईटी रूड़की के निदेशक अजित के चतुर्वेदी ने से कहा, ‘‘इस महामारी की वजह से पहले ही कई विद्यार्थियों और संस्थानों की अकामिक योजना प्रभावित हुई है और हम जल्द वायरस को जाते हुए नहीं देख रहे हैं। हमें इस अकादमिक सत्र को ‘शून्य’ नहीं होने देना चाहिए क्योंकि इसका असर कई प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के भविष्य पर पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को व्यवस्था के प्रति आस्था रखने की जरूरत है।
आईआईटी खडगपुर के निदेशक वीरेंद्र तिवारी के मुताबिक, ‘‘उत्कृष्टता पाने में परीक्षा की वैश्विक प्रतिष्ठा है और इसे दुनिया की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इन परीक्षाओं के लिए त्वरित विकल्प निश्चित रूप से प्रतिस्पर्धा के स्तर पर संतुष्ट करने वाला नहीं होगा।’’
उन्होंने कहा कि विकल्प का इस्तेमाल आईआईटी प्रणाली की पूरी प्रवेश प्रक्रिया को कमजोर करने में किया जा सकता है जो आईआईटी स्नातक शिक्षा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। आईआईटी संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी) के सदस्य एवं आईआईटी रोपड़ के निदेशक सरित कुमार दास ने कहा कि सितंबर में परीक्षा कराने का फैसला एक रात में नहीं लिया गया बल्कि सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘गत कुछ समय से हम परीक्षा कराने की संभावना पर विचार कर रहे थे। हमने अवंसरचना और छात्रों की सुरक्षा मसलन कैसे सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन कराया जाए और अन्य नियमों पर विचार किया। हमने न केवल आपस में चर्चा की बल्कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा कराने वालों से चर्चा की। दास ने कहा कि कोई नहीं जानता कि तीन महीने बाद स्थिति क्या होगी और ‘शून्य अकादमिक सत्र’ विद्यार्थियों और संस्थानों दोनों के लिए खराब होगा।