डीयू दाखिला: बाहरी छात्रों को करना पड़ रहा है कई चुनौतियों का सामना!
By भाषा | Updated: July 29, 2019 05:23 IST2019-07-28T23:19:07+5:302019-07-29T05:23:07+5:30
छात्रों के लिए शैक्षणिक सत्र 20 जुलाई को शुरू हुआ था। किरोड़ीमल कॉलेज से बीए पॉलिटिकल साइंस (ऑनर्स) करने वाली मुस्कान जैन के लिए, रहने की जगह एक प्रमुख मुद्दा है क्योंकि रहने के लिए एक अच्छी जगह तलाशना बहुत महंगा है।

डीयू दाखिला: बाहरी छात्रों को करना पड़ रहा है कई चुनौतियों का सामना!
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में दाखिले के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा से जूझने के बाद अब कई बाहरी छात्रों को कॉलेज के अपने पहले सप्ताह में भोजन, आवास और भाषा की समस्या जैसी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। डीयू के एक अधिकारी के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में 68,000 से अधिक दाखिले हुए हैं और स्नातक पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत से अधिक छात्र दिल्ली के बाहर से हैं।
छात्रों के लिए शैक्षणिक सत्र 20 जुलाई को शुरू हुआ था। किरोड़ीमल कॉलेज से बीए पॉलिटिकल साइंस (ऑनर्स) करने वाली मुस्कान जैन के लिए, रहने की जगह एक प्रमुख मुद्दा है क्योंकि रहने के लिए एक अच्छी जगह तलाशना बहुत महंगा है। जैन ने कहा कि उसे सोनीपत से यात्रा करनी होती है और इसमें औसतन दो घंटे का समय लगता है। उन्होंने कहा, ‘‘कमला नगर और शक्ति नगर के आसपास ‘पेइंग गेस्ट’ के लिए किराया बहुत महंगा है और छात्रावास की सुविधा बेहद सीमित है।’’
गोरखपुर के मयंक शेखर पांडे, जो रामजस कॉलेज से बीए संस्कृत (ऑनर्स) की पढ़ाई कर रहे हैं, ने अत्यधिक किराये को लेकर चिंता व्यक्त की। केन्या के रहने वाले और किरोड़ीमल कॉलेज से रसायन विज्ञान में एमएससी कर रहे एडविन किपचिरचिर किप्टू को आवास की समस्याओं का सामना करने के अलावा भाषा की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है।
बीए इंग्लिश (ऑनर्स) कर रही बेंगलुरु की रागश्री सेनगुप्ता एक नए शहर में कॉलेज जीवन की शुरूआत करने में भाषा की बाधा से जूझ रही है। सेनगुप्ता ने कहा, ‘‘दक्षिण भारत से होने के कारण, सबसे बड़ी समस्या भाषा की है क्योंकि बेंगलुरु में हिंदी व्यापक रूप से नहीं बोली जाती है।’’ कुछ छात्रों को भोजन की नई आदतों को अपनाने में मुश्किलों का सामना करना पड रहा है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो उत्तर भारतीय भोजन के आदी नहीं हैं।