बोर्ड परीक्षा छोड़ने के पिछले सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं। इस बार 10 लाख छात्रों ने बोर्ड परीक्षा छोड़ दी है। इस बार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नकल माफियाओं पर नकेल कसी है। सेंटर में खुलेआम नकल रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इसी का असर है कि पिछले साल की तुलना में दोगुने छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी। इस साल यूपी बोर्ड में 10वीं और 12वीं के लिए करीब 66 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन किया है।
यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 6 फरवरी को शुरू हुई और महज चार दिन के अंदर 15 प्रतिशत छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी। 10वीं की परीक्षाएँ 22 फरवरी और 12वीं की परीक्षाएँ 12 मार्च को खत्म हो रही हैं। माना जा रहा है कि नकल पर ऐसी सख्ती रही तो आगे परीक्षा छोड़ने वालों का आंकड़ा बढ़ सकता है। इससे पहले साल 2016 में परीक्षा छोड़ने वालों का आंकड़ा सर्वाधिक था। 2016 में 6.4 लाख छात्रों ने परीक्षा छोड़ी थी।
यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव का कहना है कि सरकार ने नकल रोकने के लिए और शिक्षा माफियाओं को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। इसी के फलस्वरूप इतनी बड़ी संख्या में लोग परीक्षा छोड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि परीक्षा केंद्र सड़क मार्ग से साथ जड़े हुए हैं। वहां सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। एसटीएफ छापेमारी कर रही है। यूपी के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा स्वयं यूपी बोर्ड परीक्षाओं को मॉनिटर कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर आई अजब-गजब प्रतिक्रियाएंः-
Re-cap: साल 1991-92 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। उस वक्त शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह थे। माना जाता है कि उस दौरान बोर्ड परीक्षाओं में खूब सख्ती बरती गई थी। राजनाथ सिंह ने एंटी-नकल का अध्यादेश भी ला दिया था। इतनी सख्ती में भी परीक्षा छोड़ने वालों की संख्या 1.6 लाख ही पहुंची थी। हालांकि उस वक्त परीक्षा देने वालों की संख्या भी कम थी।