विश्व भारती प्रकरण: एक रुपया में इलाज करने वाले डॉक्टर की प्रतिमा पर स्याही फेंकी गई
By भाषा | Updated: August 19, 2020 18:53 IST2020-08-19T18:53:25+5:302020-08-19T18:53:25+5:30
पुलिस ने बताया कि स्थानीय लोगों ने सुबह में पाया कि वार्ड नंबर 14 में स्थित बनर्जी की आवक्ष प्रतिमा पर स्याही डाल दी गई है। एक रुपये में इलाज करने वाले डॉक्टर के रूप में प्रसिद्ध बनर्जी ने मंगलवार को विश्वविद्यालय प्रशासन का समर्थन किया था।

विश्व-भारती के शिक्षकों और छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय परिसर में हुई हिंसा की बुधवार को निंदा की। (file photo)
बोलपुरः पश्चिम बंगाल के बोलपुर शहर में बुधवार को प्रख्यात डॉक्टर सुशोवन बनर्जी की एक आवक्ष प्रतिमा पर स्याही डाली हुई मिली। पुलिस ने यह जानकारी दी।
बनर्जी ने विश्व भारती मैदान की बाड़बंदी किये जाने का समर्थन किया था, जहां पौष मेला लगा करता है। पुलिस ने बताया कि स्थानीय लोगों ने सुबह में पाया कि वार्ड नंबर 14 में स्थित बनर्जी की आवक्ष प्रतिमा पर स्याही डाल दी गई है। एक रुपये में इलाज करने वाले डॉक्टर के रूप में प्रसिद्ध बनर्जी ने मंगलवार को विश्वविद्यालय प्रशासन का समर्थन किया था।
विश्वविद्यालय परिसर में हिंसा होने के बाद उन्होंने मैदान को घेरे जाने के विश्वविद्यालय प्रशासन के रुख का समर्थन किया था। बनर्जी को इस साल पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद के भी पूर्व सदस्य हैं। पुलिस ने बताया कि वह घटना की जांच कर रही है।
विश्व-भारती के शिक्षकों, छात्रों ने परिसर में हिंसा की निंदा की
विश्व-भारती के शिक्षकों और छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय परिसर में हुई हिंसा की बुधवार को निंदा की। पौष मेला वाले मैदान की बाड़बंदी करने को लेकर परिसर में हिंसा हुई थी। विश्व-भारती विश्वविद्यालय संकाय एसोसिएशन का कहना है कि प्रशासन द्वारा कोई भी फैसला लिए जाने से पहले वह सभी पक्षों के बीच बातचीत चाहता है।
तोड़फोड़ की निंदा करते हुए एक बयान में एसोसिएशन ने कहा, ‘‘सभी पक्षों के साथ पहले बातचीत करके इस घटना (हिंसा) से बचा जा सकता था। पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जहां संकट पैदा होने पर संकाय सदस्यों ने अधिकारियों के साथ मिलकर बातचीत की थी।’’
मेला मैदान पर बाड़ लगाने का स्थानीय लोगों द्वारा विरोध किए जाने के अगले दिन 16 अगस्त को कुलपति के नेतृत्व में संकाय सदस्यों द्वारा रैली निकालकर बाड़बंदी का समर्थन करने की घटना का वामपंथी संगठन ने भी विरोध किया है।
बयान में कहा गया है, ‘‘विश्व-भारती संकाय सदस्यों और अन्य कर्मचारियों को 16 अगस्त को एकत्र करने का फैसला सही नहीं था क्योंकि इससे उन्हें खतरा हो सकता था।’’ उसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को अतीत में हुई, पौष मेला मैदान से जुड़ी घटनाओं से सबक लेना चाहिए था।