चर्च में महिला से यौन उत्पीड़न मामला: 5 पादरियों पर लगा गंभीर आरोप, चर्च ने दिया ये बयान
By भाषा | Published: July 3, 2018 04:46 AM2018-07-03T04:46:48+5:302018-07-03T04:46:48+5:30
केरल के कोट्टायम स्थित मलंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च के पांच पादरियों द्वारा एक महिला के साथ यौन उत्पीड़न मामले में चर्च ने सफाई देते हुए कहा है कि उसे इस मामले की कोई शिकायत नहीं मिली है।
कोच्चि, 3 जुलाई। केरल के कोट्टायम स्थित मलंकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च के पांच पादरियों द्वारा एक महिला के साथ यौन उत्पीड़न मामले में चर्च ने सफाई देते हुए कहा है कि उसे इस मामले की कोई शिकायत नहीं मिली है। उसे घटना की जानकारी मीडिया के जरिए मली है। एक नन द्वारा रोमन कैथोलिक बिशप पर बलात्कार के आरोपों को दबाने के आरोप झेल रहे साइरो मालाबार चर्च ने बीती शाम एक बयान जारी किया है।
चर्च ने कहा है कि उसके प्रमुख कार्डिनल जार्ज एलेनचेरी को नन से बलात्कार की कोई शिकायत नहीं मिली है। एक बयान में कहा कि उसे इन आरोपों के बारे में मीडिया से जानकारी मिली कि एलेनचेरी ने बिशप फ्रांको मुलक्कल के खिलाफ नन की यौन उत्पीडन संबंधी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की।
चर्च ने कहा कि उसे कार्डिनल के कार्यालय के रिकार्ड से भी ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। बयान में कहा गया कि वह मीडिया में आई खबरों से पीड़िता नन की पहचान तक नहीं कर पाया। एक ऑनलाइन पोर्टल ने सबसे पहले पिछले सप्ताह इस खबर की जानकारी दी थी, जिसके बाद इसकी जांच को लेकर काफी दबाव बनने लगा खासकर सोशल मीडिया के द्वारा इस मामले की जांच को लेकर दबाव बनाया गया, जिसके बाद मजबूरन आंतरिक जांच कराने की घोषणा करनी पड़ी।
पीड़िता के पति ने बताया था कि इन पादरियों में से जिस पादरी ने सबसे पहले उसकी पत्नी का शोषण किया, वह उसकी पत्नी को ब्लैकमेल करने लगा और जब उनकी पत्नी ने दूसरे पादरी से मदद मांगी तो उसने भी धमकाना शुरू कर दिया और अन्य पादरियों के साथ महिला का उत्पीड़न करने लगा। इस तरह महिला पांच पादरियों द्वारा शोषण का शिकार हुई।
हालांकि, चर्च में ऊंचे पद पर काबिज लोगों ने मामले को चुपके से रफा-दफा करने का प्रयास किया, लेकिन परेशानी तब शुरू हुई, जब राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने इसे संज्ञान में लिया और बेहरा को पत्र लिखकर मामले की जांच कराने के लिए कहा। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन ने भी बेहरा को पत्र लिखा और कहा कि चर्च द्वारा मामले की जांच करना अनुचित है क्योंकि यह निष्पक्ष नहीं होगा।