पटना बालिका गृहः रिमांड होम की अधीक्षक वंदना गुप्ता अरेस्ट, नशे का इंजेक्शन देकर लड़कियों से कराती थी सेक्स रैकेट, जेल
By एस पी सिन्हा | Published: August 28, 2022 08:15 PM2022-08-28T20:15:50+5:302022-08-28T20:16:43+5:30
Patna Girls Home: पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा, ‘‘शारीरिक शोषण की शिकायतों को देखने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। तीन लड़कियों ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराये गए बयान में यौन शोषण की शिकायत की। अधीक्षक द्वारा पीटा जाता था।’’
पटनाः पटना के गाय घाट स्थित महिला रिमांड होम में होने वाले कुकर्मों से पर्दा उठता हुआ दिखने लगा है। रिमांड होम में सेक्स रैकेट संचालित किये जाने के आरोप लगने के बाद रिमांड होम की अधीक्षक वंदना गुप्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ रिमांड होम में रह चुकी तीन लड़कियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
रिमांड होम में रहने वाली संवासिनों (लड़कियों) को नशे का इंजेक्शन देकर बाहर भेजने, उन्हें प्रता्डित करने, शारीरिक और मानसिक शोषण सहित कई आरोप लगे हैं। गाय घाट में स्थित रिमांड होम की महिला अधीक्षक वंदना गुप्ता के खिलाफ रिमांड होम में ही रह चुकी दो लड़कियों ने लड़कों को वहां बुलवाने और उनका यौन शोषण करवाने का आरोप लगाया था।
गायघाट रिमांड होम में रह चुकी पीड़िता द्वारा गंभीर आरोप लगाया गया था। पीड़िता ने बताया था कि गायघाट रिमांड होम में गई थी तब भी वंदना गुप्ता वहां थी। आरोप लगाया था कि लड़कियों को गलत काम करने के लिए नशीली दवा दी जाती थी। नौकरी के नाम पर नशीला इंजेक्शन देकर बाहर भेजा जाता था। विरोध करने पर उनके पक्ष में रहने वाली लड़कियों से पिटाई कराई जाती थी।
उसे मुजफ्फरपुर भेजा गया था, जहां एक युवक रिसीव करने वाला था। उसका नाम भी उजागर किया था। पीड़िता किसी तरह उनके चंगुल से निकली थी। लड़कियों ने दावा किया था कि रात होने पर उन्हें नशा खिला दिया था और सुबह जगने पर उनके पूरे बदन में दर्द होता था। युवती का आरोप था कि अधीक्षक वंदना गुप्ता नशे का इंजेक्शन देकर अवैध धंधे में जाने को मजबूर करती हैं।
विरोध करने पर उन्हें भूखा रखा जाता है। बाहर निकलने के बाद पीड़िता वापस रिमांड होम जाने को तैयार नहीं थी। एक पीडिता के आरोप के बाद दूसरी भी सामने आयी। एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें एक युवती ने आरोप लगाया था कि बांग्लादेश की रहने वाली महिला को यहां मरने पर मजबूर कर दिया गया।
करीब छह महीने से इस मामले की जांच पटना पुलिस की एसआईटी कर रही थी। महिला थाना में बीते फरवरी में दो लड़कियों के बयान पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इस रिमांड होम में क्या-क्या कुकर्म होते थे, सब पीड़ित युवतियों ने बताए थे। एक एनजीओ की सक्रियता और पटना हाईकोर्ट की दखल के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाई।
करीब छह महीने से अधिक समय तक हुई जांच के बाद मिले ठोस साक्ष्य के आधार पर वंदना गुप्ता गिरफ्तार किया गया। एसएसपी डा. मानवजीत सिंह ढिल्लों ने इस मामले की जांच के लिए एसआइटी बनाई गई थी। जांच और साक्ष्य मिलने के बाद वंदन गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह कांड के लिए बिहार कुख्यात रहा है। यह मामला मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा किये गए एक सामाजिक ऑडिट में सामने आया था। उसके बाद राज्य की नीतीश कुमार सरकार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच का आदेश देना पड़ा।
तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने इस्तीफा दे दिया था। तब तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में एक बयान दिया था। मामले की सुनवाई अंततः दिल्ली स्थानांतरित कर दी गई और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई।