रेप केस में बरी होने वाले बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ नन ने केरल हाईकोर्ट में दायर की अपील
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 30, 2022 10:13 PM2022-03-30T22:13:10+5:302022-03-30T22:20:04+5:30
पंजाब के जालंधर में पदस्थापित रहे ईसाई धर्मगुरु फ्रेंको मुलक्कल को इस साल जनवरी में कोट्टायम की लोअर कोर्ट ने रेप के आरोपों से बरी कर दिया था। केरल सरकार ने फ्रेंको के बरी होने के बाद इस मामले में अपनी ओर से कोई अपील दायर नहीं की है, लेकिन बुधवार को केरल सरकार ने पीड़िता की अपील को अपनी मंजूरी दे दी।
तिरुवनन्तपुरम:केरल में नन रेप मामले में पीड़िता ने बिशप बिशप फ्रैंको मुलक्कल को दोष मुक्त किये जाने वाले फैसले के खिलाफ अपील दायर की है। पीड़िता नन के वकील एस श्रीकुमार ने 28 मार्च को केरल हाईकोर्ट में अपील दायर की है।
पंजाब के जालंधर के ईसाई धर्मगुरु फ्रेंको मुलक्कल को इस साल जनवरी में कोट्टायम की लोअर कोर्ट ने रेप के आरोपों से बरी कर दिया था। वहीं केरल सरकार ने भी इस मामले में अपनी ओर से अभी तक कोई अपील दायर नहीं की है, लेकिन बुधवार को केरल सरकार ने पीड़िता की अपील को अपनी मंजूरी दे दी।
इस मामले में कोट्टायम की लोअर कोर्ट के जज जी गोपाकुमार ने शिकायतकर्ता और गवाहों की गवाही के बावजूद 14 जनवरी को बिशप फ्रेंको को रेप मामले में बरी कर दिया था। लोअर कोर्ट ने बिशप फ्रेंको मुलक्कल को विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए बरी किया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में "पीड़ित की घटनाओं के असंगत विवरण और सरकारी पक्ष द्वारा रेप को साबित किये जाने वाले सबूतों की कमी को अपना अपना आधार बनाया था।
बिशप को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा था, "पीड़िता के के बयान में कोई स्थिरता नहीं है। उसने अलग-अलग समय पर गए गये बयानों में बदलाव किया है, जिससे बिशप द्वारा रेप के आरोपों की पूरी तरह से पुष्टि नहीं होती है।"
मामले में केरल सरकार की ओर से केस में पैरवी करने वाले विशेष अभियोजक जितेश बाबू ने लोअर कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि कोर्ट द्वारा बिशप मुलक्कल को बरी किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। लोअर कोर्ट ने मामले में अपील दायर करने की समय सीमा फैसले की तारीख से 90 दिनों की तय की थी।
संयोग से, लोअल कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद कोट्टायम के पूर्व पुलिस एसपी हरिशंकर, जिन्होंने मामले की जांच का निरीक्षण किया था। उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वो पूरी तरह से आश्वस्त थे कि फैसला आरोपी बिशप के खिलाफ होगा और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो यह केस हार जाएंगे।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि फ्रेंको का बरी होना रेप मामले में न्याय के खिलाफ है। पूर्व पुलिस अधीक्षक हरिशंकर ने इस मामले में बिशप मुलक्कल के खिलाफ जांच का नेतृत्व किया था।
लोअर कोर्ट में इस केस की सुनवाई 105 दिनों तक चली और कुल 39 गवाहों की गवाही दर्ज की गई थी। इसके साथ ही कोर्ट में सरकारी पक्ष की ओर से बिशप मुलक्कल के खिलाफ 122 दस्तावेजी सबूतों को भी सौंपा गया था।
मालूम हो कि पंजाब के जालंधर जिले में रोमन कैथोलिक चर्च के बिशप फ्रेंको पर एक नन के साथ रेप का आरोप लगा था। यह चर्च मिशनरीज ऑफ जीसस समूह से जुड़ा हुआ है।
साल 2014 से 2016 के बीच केरल यात्रा के दौरान बिशप फ्रेंको पर 43 साल की एक नन के साथ 13 अलग-अलग समय में रेप का आरोप लगा था। जिसके बाद मिशनरीज ऑफ जीसस समूह ने बिशप फ्रेंको को जालंधर सूबा के प्रभार से हटा दिया था।
इस संबंध में फ्रेंको के खिलाफ जून 2018 में केरल में शिकायत दर्ज कराई गई थी और मुलक्कल को 21 सितंबर 2018 को नन के साथ रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने फ्रेंको को 16 अक्टूबर 2018 को जमानत दे दी थी।
फ्रेंको ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए केरल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे थे, लेकिन दोनों अदालतों ने उनके मामले को खारिज दिया था और उन्हें लोअर कोर्ट में ट्रायल फेस करने के लिए कहा था।