निर्भया केस: कुछ ही दिनों में नहीं होगी दोषियों को फांसी

By रोहित कुमार पोरवाल | Published: December 13, 2019 12:36 PM2019-12-13T12:36:20+5:302019-12-13T12:36:20+5:30

मौजूदा स्थिति और नियमों के हिसाब से देखें तो निकट के कुछ ही दिनों में निर्भया के चारों दोषियों को फांसी होती नहीं दिखाई दे रही है। 

Nirbhaya Gangrape & Murder Case: convicts will not be hanged next few days, here is how | निर्भया केस: कुछ ही दिनों में नहीं होगी दोषियों को फांसी

निर्भया केस के चारों दोषी। (फाइल फोटो)

Highlightsसुप्रीम कोर्ट से दोषी अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के बाद उसके पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का मौका होगा। राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद दोषी फांसी पर लटकाने से पहले 14 दिन का वक्त दिया जाता है।

निर्भया गैंगरेप-हत्याकांड के दोषियों को निकट के कुछ ही दिनों में फांसी होती नहीं दिख रही है। इसके पीछ कारण है। चारों दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर ने फांसी के तख्त पर लटकाए जाने की अंतिम संभावनाओं के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है, जिस पर शीर्ष अदालत 17 दिसंबर को सुनवाई करेगी। 

18 दिसंबर को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया के माता-पिता द्वारा दायर की गई डेथ वारंट याचिका पर सुनवाई करेगी। 

सुप्रीम कोर्ट से दोषी अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के बाद उसके पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का मौका होगा। 

राष्ट्रपति के पास पहले से दोषी विनय शर्मा की दया याचिका है। हालांकि, खबरों मुताबिक, दोषी का कहना है कि दया याचिका पर उसके हस्ताक्षर नहीं और वह दोबारा से इसे दायर करना चाहता है।

नियम के मुताबिक, राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद दोषी फांसी पर लटकाने से पहले 14 दिन का वक्त दिया जाता है। 

दो हफ्ते का यह समय इसलिए दिया जाता है ताकि दोषी इस दौरान खुद को मानसिक तौर पर फांसी के लिए तैयार कर ले। 

सुप्रीम कोर्ट हलांकि, हफ्ते की शुरुआत में दोषी पवन गुप्ता की ओर से दायर की गई पुनर्विचार याचिका खारिज कर चुका है। 

मौजूदा स्थिति और नियमों के हिसाब से देखें तो निकट के कुछ ही दिनों में निर्भया के चारों दोषियों को फांसी होती नहीं दिखाई दे रही है। 

तिहाड़ जेल के पूर्व जेलर सुनील गुप्ता ने टीओआई को बताया कि जेल अधिकारी अफजल गुरु की फांसी के बाद बने नए नियमों का पालन करेंगे। इसके तहत राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद भी दोषियों को क्यूरेटिव पिटीशन (उपचारात्मक याचिका) दायर करने का मौका दिया जाएगा। हालांकि, याचिका स्वीकार की जाए या नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट को ही तय करना होगा। 

सुनील गुप्ता ने अपने कार्यकाल के दौरान 1981 से तिहाड़ जेल के अधिकारी रहे, इस दौरान वह अफजल गुरु समेत 14 दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने के साक्षी रहे। उन्होंने कहा कि नए जेल नियम शत्रुघन चौहान नाम के याचिकाकर्ता की याचिका के आधार पर तैयार किए गए। नए नियमों के मुताबिक, दोषियों को उनके घरवालों से मिलने दिया जाता है। दोषियों के घरवालों को फांसी से पहले लिखित में दया याचिका खारिज होने की सूचना दी जाती है।  

2018 में अमल आए जेल के नए नियम के मुताबिक, 14 दिन के वक्त के दौरान दोषियों और उनके परिवारवालों को एक लाल लिफाफे में मौत की सजा का फरमान सौंपा जाता है। इसके बाद पावति और इसकी रसीद की तारीख जेल अधीक्षक के रजिस्टर में दर्ज की जाती है। 

पूर्व जेलर ने बताया कि 14 दिनों के दौरान दोषियों की आखिरी इच्छा और जेल अधीक्षक की देखरेख में निजी सामान को सौंपने जैसे काम किए जाते हैं। दोषियों को कन्फाइनमेंट सेल में रखा जाता है जहां पूरे समय एक वॉर्डन उन पर नजर रखता है। 

Web Title: Nirbhaya Gangrape & Murder Case: convicts will not be hanged next few days, here is how

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