निर्भया केस: पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करने से किया इंकार, तिहाड़ प्रशासन को फटकार

By पल्लवी कुमारी | Published: February 7, 2020 03:07 PM2020-02-07T15:07:02+5:302020-02-07T15:07:02+5:30

साल 2012 के 16 दिसंबर को एक चलती बस में निर्भया (बदला हुआ नाम) के साथ सामूहिक गैंगरेप हुआ था। आरोपियों ने पीड़िता के साथ ना सिर्फ बलात्कार किया बल्कि उसे बेहद चोटें भी पहुंचाई थी। जिसकी वजह से निर्भया की मौत हो गई।

Nirbhaya gangrape case 2012: Patiala House court refuses to issue new death warrant | निर्भया केस: पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करने से किया इंकार, तिहाड़ प्रशासन को फटकार

निर्भया केस: पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करने से किया इंकार, तिहाड़ प्रशासन को फटकार

Highlightsनिर्भया केस: सुप्रीम कोर्ट में आज( 7 फरवरी)  चारों दोषियों को फांसी दिए जाने के संबंध में केंद्र की याचिका टल गई है।सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को नोटिस जारी कर कहा है कि वे जल्द से जल्द अपने कानूनी विकल्प इस्तेमाल करें। 

निर्भया गैंगरेप और हत्या केस पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई करते हुए फिलहाल चारों दोषियों के लिए  नया डेथ वारंट जारी करने से किया इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, ऐसे में हम कोई फैसला नहीं सुना सकते। पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा है कि दोषियों के पास 11 फरवरी तक का वक्त है, किसी तरह के कानूनी विकल्पों को आजमाने के लिए। कोर्ट ने कहा है कि फांसी की सजा अकेले देने के आधार पर डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता। 

बता दें कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर दोषियों के लिए डेथ वारंट जारी करने की मांग थी। जिसपर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया गया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पांच फरवरी के उस आदेश पर गौर किया, जिसमें चारों दोषियों को एक सप्ताह के भीतर कानूनी उपचार का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। अदालत ने कहा, ‘‘ जब दोषियों को कानून जीवित रहने की इजाजत देता है, तब उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप है। उच्च न्यायालय ने पांच फरवरी को न्याय के हित में दोषियों को इस आदेश के एक सप्ताह के अंदर अपने कानूनी उपचार का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी।’’

न्यायाधीश ने कहा , ‘‘ मैं दोषियों के वकील की इस दलील से सहमत हूं कि महज संदेह और अटकलबाजी के आधार पर मौत के वांरट को तामील नहीं किया जा सकता है। इस तरह, यह याचिका खारिज की जाती है। जब भी जरूरी हो तो सरकार उपयुक्त अर्जी देने के लिए स्वतंत्र है ।’’

अदालत तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें दोषियों के खिलाफ मौत का नया वारंट जारी करने की मांग की गयी है। निचली अदालत ने 31 जनवरी को इस मामले के चार दोषियों-- मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25) , विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को अगले आदेश तक फांसी पर चढ़ाने से रोक दिया था। ये चारों तिहाड़ जेल में कैद हैं।

वहीं चारों दोषियों को फांसी दिए जाने के संबंध में केंद्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। सुप्रीम कोर्ट  में अब इस मामले की सुनवाई 11 फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को नोटिस जारी कर कहा है कि वे जल्द से जल्द अपने कानूनी विकल्प इस्तेमाल करें। इससे पहले इन दोषियों की फांसी की सजा पर रोक के खिलाफ केंद्र की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

Web Title: Nirbhaya gangrape case 2012: Patiala House court refuses to issue new death warrant

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