फांसी देने से पहले रातभर सो नहीं पाता जल्लाद, करीब 70 वर्षों से पवन का परिवार कर रहा यह काम
By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: December 11, 2019 16:39 IST2019-12-11T16:39:41+5:302019-12-11T16:39:41+5:30
पवन कुमार का कहना है कि जब कोई उन्हें जल्लाद कहकर पुकारता है तो वह उसका बुरा नहीं मानते हैं क्योंकि जल्लादी उनका खानदानी पेशा है और भारत सरकार इस पेशे को जिंदा रखे है।

पवन जल्लाद की फाइल फोटो। (Screengrab Courtesy: Youtube/101 India)
निर्भया गैंगरेप-हत्याकांड के चारों दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। दोषियों को फांसी देने के लिए जल्लाद तलाशने का काम पूरा हो गया है। दिल्ली के तिहाड़ जेल ने मेरठ कारागार से पवन कुमार को जल्लाद के काम के लिए बुलाया है। उन्हें पवन जल्लाद के नाम से भी बुलाया जाता है। फांसी की तारीख तय होने से लेकर कैदी को फांसी के तख्त पर पहुंचाने और फिर फांसी देने की तक क्या-क्या तैयारी होती है, इस बारे में पवन जल्लाद कई दफा बता चुके हैं।
क्यों नहीं सो पाता है जल्लाद?
समाचार चैनल आजतक को दिए साक्षात्कार के दौरान पवन जल्लाद ने कहा था कि जिस दिन फांसी दी जाती है, उसके पहले रात भर जल्लाद भी नहीं सो पाता है। इसके पीछे उनका तर्क था कि जिस काम को जल्लाद अंजाम देने जा रहा है, उसमे कोई चूक न हो, कोई शिकायत या आपत्ति न उठे, इसलिए चौंकन्ना रहना होता है। उनका कहना था सोना तो जिंदगी भर है, जल्लाद के लिए वह कयामत की रात होती है।
खानदानी जल्लाद हैं पवन कुमार, दादा ने इंदिरा गांधी के हत्यारों को दी थी फांसी
पवन कुमार ने साक्षात्कार में बताया कि कोई उन्हें जब जल्लाद कहकर पुकारता है तो वह उसका बुरा नहीं मानते हैं क्योंकि जल्लादी उनका खानदानी पेशा है और भारत सरकार इस पेशे को जिंदा रखे है। पवन का परिवार 1951 से जल्लादी के पेशे में है। आंकड़ों के मुताबिक, स्वतंत्र भारत में अब तक 57 लोगों को फांसी दी जा चुकी है, जिनमें 25 से ज्यादा मामलों में पवन के परिवार ने जल्लादी का काम किया।
परिवार में पवन के परदादा लक्ष्मण सबसे पहले जल्लादी के पेशे में उतरे थे। उसके बाद उनके बेटे यानी पवन के दादा कालू राम (कल्लू जल्लाद) ने यह काम संभाला। कालू राम के बाद उनके बेटे बब्बू सिंह और फिर इस काम की जिम्मेदारी पवन जल्लाद निभा रहे हैं। 101 India नाम के यूट्यूब चैनल की डॉक्यूमेंट्री में पवन कुमार जल्लाद अपने बेटे के लिए जल्लादी पेशे की चाहत बयां करते हुए देखे जाते हैं। उनका कहन है कि वह चाहते हैं कि बेटा पारंपरिक काम को संभाले लेकिन वह इसके लिए मना करता है। बेटे का कहना है... पापा जब तक आपसे संभल रहा है संभालो.. मुझे कोई अच्छी नौकरी मिल जाती है तो फिर मैं जल्लाद नहीं बनूंगा।
पवन जल्लाद ने बताया कि उनके दादा कालू राम ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों फांसी लगाने का काम किया था। कालूराम ने 1987 में इंदिरा गांधी हत्याकांड के दोषियों को फांसी लगाई थी। उस वक्त पवन की उम्र 22 साल थी। पवन का कहना है कि उन्होंने जल्लादी का काम दादा से सीखा। दादा के साथ उन्होंने जेल में जाकर फांसी के दौरान सहायक की भूमिका निभाकर यह काम शुरू किया था। एक इंटरव्यू में पवन ने कहा था- मुझे बड़ा शौक था कि मैं जल्लाद बनूंगा। उन्होंने दादा से कहा था कि इसके बाद आपके काम को मैं अंजाम दूंगा।
पवन जल्लाद का कहना है कि 1992 में पटियाला जेल में दो भाइयों को फांसी लगाई थी। दोषियों ने चार भाइयों और तीन बहनों को मारा था। वर्तमान में इस पेशे में पवन को पांच हजार रुपये की पगार मिलती है।