निर्भया मामला: जेल में कथित पिटायी के लिए पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR को लेकर अदालत पहुंचा दोषी
By भाषा | Published: March 11, 2020 10:49 PM2020-03-11T22:49:58+5:302020-03-11T22:49:58+5:30
शिकायत में कहा गया है कि चूंकि पवन को जल्द फांसी दी जानी है, यह जरूरी है कि उसे दोनों पुलिसकर्मियों की पहचान के लिए एक गवाह के तौर पर पेश होने की इजाजत दी जाए।
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में फांसी की सजा पाये चार दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता बुधवार को दिल्ली की एक अदालत पहुंचा और दो पुलिस कान्स्टेबल के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। पवन कुमार गुप्ता ने आरोप लगाया कि वह गत वर्ष जब मंडोली जेल में बंद था तब दोनों कान्स्टेबल ने उसे पीटा था।
पवन कुमार गुप्ता के वकील एपी सिंह ने बताया कि कड़कड़डूमा स्थित मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट की अदालत पवन की शिकायत पर बृहस्पतिवार अपराह्न दो बजे सुनवाई करेगी।
शिकायत में हर्षविहार पुलिस थाने के एसएचओ को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह कान्स्टेबल अनिल कुमार और एक अन्य अज्ञात कान्स्टेबल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करें।
शिकायत में कहा गया है कि चूंकि पवन को जल्द फांसी दी जानी है, यह जरूरी है कि उसे दोनों पुलिसकर्मियों की पहचान के लिए एक गवाह के तौर पर पेश होने की इजाजत दी जाए।
आपराधिक शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पवन को दोनों कान्स्टेबल ने 26 जुलाई और 29 जुलाई, 2019 को बुरी तरह से पीटा था, जब वह पूर्वी दिल्ली के मंडोली केंद्रीय जेल में बंद था। इसमें कहा गया है कि सिर में कथित चोट के लिए उसका इलाज शाहदरा में गुरु तेग बहादुर सरकारी अस्पताल में कराया गया और उसे 14 टांके लगे।
इसमें दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ शारीरिक हमले से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया है।
इससे पहले गत पांच मार्च को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा की अदालत ने पवन कुमार गुप्ता सहित चार दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने के लिए ताजा मृत्यु वारंट जारी किये थे।
इन चार दोषियों में मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) शामिल हैं। 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी इंटर्न से 16 दिसम्बर 2012 को दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार और हमला किया गया था। घटना के लगभग 15 दिन बाद उसकी मौत हो गई थी।