सिर्फ सुसाइड नोट ही सजा दिलाने के लिए काफी नहीं, आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला, विशेष सावधानी बरतने की सलाह
By सौरभ खेकडे | Published: March 10, 2022 09:32 PM2022-03-10T21:32:31+5:302022-03-10T21:33:30+5:30
हाईकोर्ट ने एक अहम निरीक्षण दिया है कि महज सुसाइड नोट में आरोपी का नाम लिख देने से ही कोर्ट उसे सजा नहीं दे सकता.
नागपुरः देश के एक चर्चित अभिनेता की आत्महत्या के बाद देशव्यापी बहस उठी. अदालत में भी यह मामला खूब खींचा गया. हाल ही में बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में भी एक ‘आत्महत्या के लिए उकसाने’ का मामला सुनवाई के लिए आया.
इस पर हाईकोर्ट ने एक अहम निरीक्षण दिया है कि महज सुसाइड नोट में आरोपी का नाम लिख देने से ही कोर्ट उसे सजा नहीं दे सकता. सजा देने के लिए यह सिद्ध होना चाहिए कि आरोपी ने ऐसी कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हरकत की, जिससे व्यक्ति के पास अपना जीवन समाप्त करने के अलावा कोई और विकल्प शेष नहीं रह गया.
न्यायमूर्ति वी.एम. देशपांडे और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने इस निरीक्षण के साथ नागपुर निवासी 3 आरोपियों को ‘आत्महत्या के लिए उकसाने’ के आरोप से दोष मुक्त कर दिया है. इस मामले में पुलिस दलील दे रही थी कि मृतक ने सुसाइड नोट में आत्महत्या की प्रताड़ना का उल्लेख किया है.
लेकिन हाईकोर्ट ने माना कि चाहे आत्महत्या करने वाले ने सुसाइड नोट में किसी भी दूसरे व्यक्ति को जिम्मेदार बताया हो, लेकिन अदालत में यह सिद्ध होना बहुत जरूरी है कि वाकई उस व्यक्ति ने मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाया था.