Mukhtar Ansari Death: उत्तर प्रदेश में बाहुबलियों और माफियाओं को सुहाता नहीं मार्च, कई का आखिरी साबित, लिस्ट लंबी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 1, 2024 02:00 PM2024-04-01T14:00:55+5:302024-04-01T14:01:46+5:30

Mukhtar Ansari Death: पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के लक्ष्मीपुर (अब नौतनवा-महराजगंज) विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही की हत्या 31 मार्च 1997 को लखनऊ में हुई थी और रविवार को शाही की 27वीं पुण्यतिथि थी।

Mukhtar Ansari Death March does not suit musclemen and mafia in Uttar Pradesh it proves to be last for many see list | Mukhtar Ansari Death: उत्तर प्रदेश में बाहुबलियों और माफियाओं को सुहाता नहीं मार्च, कई का आखिरी साबित, लिस्ट लंबी

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Highlightsआतंक का पर्याय श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपने साथियों के साथ मिलकर मारा था। हरिशंकर तिवारी गिरोह से हुए गैंगवार में शाही के खिलाफ दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हुए थे। 22 सितंबर 1998 को एसटीएफ ने शुक्ला को गाजियाबाद में मार गिराया।

Mukhtar Ansari Death: यह महज संयोग हो सकता है, लेकिन उत्तर प्रदेश में मार्च का महीना बाहुबलियों और माफियाओं को सुहाता नहीं है। माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी से पहले भी बाहुबलियों के लिए मार्च का महीना आखिरी साबित हुआ है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक जानकार ने बताया कि 1995 के बाद से लगातार कई वर्षों तक मार्च में एक आशंका बनी रहती थी कि पता नहीं, कब क्या हो जाए। अब जब एक और बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत मार्च के आखिरी हफ्ते में हुई तो पुरानी घटनाएं ताजा हो गयीं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के लक्ष्मीपुर (अब नौतनवा-महराजगंज) विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही की हत्या 31 मार्च 1997 को लखनऊ में हुई थी और रविवार को शाही की 27वीं पुण्यतिथि थी।

शाही को तब उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपने साथियों के साथ मिलकर मारा था। गोरखपुर जिले से करीब ढाई दशक तक विधायक और कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव और मायावती के नेतृत्व की सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी गिरोह से हुए गैंगवार में शाही के खिलाफ दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हुए थे।

, लेकिन बाद में दोनों की दुश्मनी खत्म हो गयी थी। बाद में बिहार के माफिया, पूर्व सांसद सूरजभान के संरक्षण में श्रीप्रकाश शुक्ला ने ठेके पट्टे में वर्चस्व के लिए शाही के खिलाफ मोर्चा खोला। शाही की हत्या के बाद शुक्ला को पकड़ने के लिए तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार ने विशेष कार्यबल (एसटीएफ) का गठन किया और 22 सितंबर 1998 को एसटीएफ ने शुक्ला को गाजियाबाद में मार गिराया।

वीरेंद्र प्रताप शाही की हत्या से एक वर्ष पहले 25 मार्च 1996 को माफिया और गोरखपुर के मानीराम से तीसरी बार विधायक चुने गये ओम प्रकाश पासवान की उनके सात समर्थकों समेत बांसगांव की एक सभा में बम विस्फोट कर हत्या कर दी गई। मानीराम विधानसभा सीट को परिसीमन के बाद कई हिस्सों में बांट दिया गया।

पासवान समाजवादी पार्टी से निकट भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवार थे। पासवान के खिलाफ भी हत्या, लूट समेत एक दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। पासवान की हत्या से ठीक एक वर्ष पहले 25 मार्च 1995 को गोरखपुर में तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा कलेक्ट्रेट में आयोजित एक समारोह में पहुंचे थे और कार्यक्रम समाप्त होते ही अपराधियों ने पूर्वी उप्र के बाहुबली ब्लाक प्रमुख सुरेंद्र सिंह की उनके सरकारी सुरक्षाकर्मी समेत हत्या कर दी। इस घटना ने गैंगवार से मुक्त हो रहे गोरखपुर को फिर से इस बुराई में धकेल दिया।

आपराधिक प्रवृत्ति के सुरेंद्र सिंह ने पिपरौली में एक परिवार को गोलियों से भून दिया था। मल्हीपुर के प्रदीप सिंह ने बदला लेने के लिए गिरोह बनाकर दिन-दहाड़े सुरेंद्र सिंह को मार दिया था। आपराधिक घटनाओं को याद रखने वाले गोरखपुर के एक जानकार ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि सुरेंद्र सिंह की हत्या प्रदीप सिंह गिरोह ने की और उसका वर्चस्व हो गया।

ठीक एक वर्ष बाद गोरखपुर जिले के ही श्रीपत ढाढी और राकेश यादव गिरोह ने पासवान की हत्या कर दी। श्रीपत और उसके कई साथी पुलिस मुठभेड़ में मारे गये। उन्होंने यह भी बताया कि दहशत की दुनिया में अपने वर्चस्व के लिए श्रीप्रकाश शुक्ल ने शाही को मारा था। उन्होंने यह भी कहा कि 1995 के बाद से लगातार कई वर्षों तक मार्च में यह आशंका बनी रहती थी कि पता नहीं, कब क्या हो जाए।

उन्होंने कहा कि 27 वर्षों बाद 28 मार्च की रात मुख्तार की मौत भले ही पुलिस अभिरक्षा में, अस्पताल में बीमार होने से हुई लेकिन यह घटनाक्रम मार्च में पूर्वी उप्र के बाहुबलियों की मौत से स्वाभाविक रूप से जुड़ गया। उनके अनुसार, मार्च 2018 में बाहुबली वीरेंद्र प्रताप शाही के इकलौते बेटे विवेक प्रताप शाही की मौत बस्ती जिले में एक सड़क हादसे में हो गयी।

एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने बताया कि बरेली जिले के बहेड़ी से तीन बार विधायक रहे मंजूर अहमद अपराधियों के खिलाफ तनकर खड़े हो जाते थे। वर्ष 2022 में छह मार्च को लखनऊ में राजभवन के गेट नंबर तीन के पास सपा के धरना-प्रदर्शन से पहले अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गयी।

इस मामले में गिरफ्तार किए गए जौनपुर जिले के एक युवक ने पुलिस को बताया कि वह किसी बड़े आदमी की हत्या कर सुर्खियों में आना चाहता था। हालांकि जानकारों का दावा है कि पुलिस मामले का सही ढंग से राजफाश नहीं कर सकी।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ से 1996 से 2017 तक लगातार पांच बार विधायक रहे, हत्या, अपहरण और रंगदारी वसूली समेत 60 से अधिक मुकदमे के आरोपी अंसारी की 28 मार्च की रात मौत हो गयी। आपराधिक मामलों में 2005 से ही लगातार देश की विभिन्न जेलों में बंद रहे अंसारी मौत से पहले आखिरी तीन वर्ष बांदा जेल में रहे।

वहीं तबीयत बिगड़ने पर उनको रानी दुर्गावती मेडिकल कालेज बांदा में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गयी। मुख्तार के बड़े भाई सांसद अफजाल अंसारी ने आरोप लगाया कि मुख्तार को जेल में खाने में धीमा जहर दिया गया जिससे उसकी मौत हो गयी। 

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