मध्य प्रदेश: देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज के सीईओ, सीओओ और ट्रांसपोर्टर पर दर्ज हुई एफआईआर, जानिए क्या है वजह

By नितिन गुप्ता | Published: July 14, 2023 07:06 AM2023-07-14T07:06:16+5:302023-07-14T07:14:37+5:30

उज्जैन की लोकायुक्त पुलिस ने देवास में अमृत योजना के तहत यात्री बसों की खरीदी और सब्सिडी का अनुचित लाभ उठाकर स्वीकृत मार्ग की जगह दूसरे मार्ग पर बसे चलाने के मामले में देवास एसडीएम प्रदीप सोनी, देवास सिटी ट्रांसपोर्ट के सीओओ और बस कम्पनी संचालक के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

Madhya Pradesh: FIR lodged against CEO, COO and transporter of Dewas City Transport Services, know the reason | मध्य प्रदेश: देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज के सीईओ, सीओओ और ट्रांसपोर्टर पर दर्ज हुई एफआईआर, जानिए क्या है वजह

मध्य प्रदेश: देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज के सीईओ, सीओओ और ट्रांसपोर्टर पर दर्ज हुई एफआईआर, जानिए क्या है वजह

Highlightsलोकायुक्त पुलिस ने देवास में अमृत योजना के तहत यात्री बसों की खरीदी में दर्ज किया केसइसमें देवास एसडीएम प्रदीप सोनी, सिटी ट्रांसपोर्ट के सीओओ और बस कम्पनी के खिलाफ हुई एफआईआरइन पर बसों की खरीद, सब्सिडी का अनुचित लाभ उठाने और अन्य तरह का आरोप है

देवास: मध्य प्रदेश के उज्जैन की लोकायुक्त पुलिस ने देवास में अमृत योजना के तहत यात्री बसों की खरीदी और सब्सिडी का अनुचित लाभ उठाकर स्वीकृत मार्ग की जगह दूसरे मार्ग पर बसे चलाने के मामले में शिकायत मिलने पर देवास एसडीएम प्रदीप सोनी, देवास सिटी ट्रांसपोर्ट के सीओओ और बस कम्पनी संचालक के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

इस संबंध में पुलिस अधीक्षक, विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त उज्जैन संभाग अनिल विश्वकर्मा ने बताया कि उनको 10 जनवरी 2023 को शिकायत प्राप्त हुई थी कि नगर निगम देवास ने अमृत योजना के अंतर्गत यात्री बसों के टेण्डर निकाले थे तथा इसमें शासन की ओर से 40 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान था।

इसमें नगर निगम देवास ने विश्वास ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड को निर्धारित मार्गों पर यात्री बस संचालन हेतु टेण्डर स्वीकृत कर निर्धारित मार्गों पर बसों के संचालन की अनुमति दी गई थी परंतु विश्वास ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अधिकारियों के साथ मिलकर टेण्डर में स्वीकृत मार्ग से भिन्न मार्गो पर यात्री बसों का संचालन किया जाने लगा तथा कुछ बसों का विक्रय भी कर दिया गया।

जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने उक्त शिकायत में जांच एवं सत्यापन हेतु उपपुलिस अधीक्षक सुनील कुमार तालान को जांच सौंपी गई। जांच के में पाया गया कि देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड द्वारा आरएफपी के अनुसार टेण्डर जारी किये गये थे। इस टेण्डर में क्लस्टर 2, 3 एवं 4 पर बसों के संचालन हेतु निविदाएं मांगी गई थी।

उक्त तीनों क्लस्टर की निविदाएं विश्वास ट्रांसपोर्ट को प्राप्त हुई तथा कुल 39 बसों का संचालन 7 वर्ष के लिए दिया जाना था। इसके लिए विश्वास ट्रांसपोर्ट को बसें क्रय करने पर कुल लागत की 34.2 प्रतिशत से 39.78 प्रतिशत तक सब्सिडी प्राप्त हुई। विश्वास ट्रांसपोर्ट द्वारा वर्ष 2022 में 3 बसें विक्रय कर दी गई परंतु उनके स्थान पर 1 वर्ष से भी अधिक समय बीतने पर भी अन्य तीन बसें क्रय करके नहीं लगाई गई।

इसके साथ ही अनेक बसों का मार्ग परिवर्तन सीईओ एवं सीओओ से अनुमति लेकर बदल दिया गया जबकि वे अनुमति देने हेतु सक्षम नहीं थे। उल्लेखनीय है कि इस टेण्डर के बदले देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज को वार्षिक प्रीमियम शून्य रूपये प्राप्त हो रही है। बसों हेतु मासिक पास भी जारी नहीं किये गये। बसों पर विज्ञापन का टेण्डर भी जारी नहीं किया गया था, जिससे नगर निगम की कंपनी को आय हो सकती थी।

स्पेअर बस को पिकनीक या टूर आदि का परमिट लेकर चलाया गया, जो अनुमत्य नहीं था । क्लस्टरों की अधिकांश बसों के रूट में परिवर्तन की अनुमति दे दी गई, जिससे वे व्यस्त रूटों पर बसों का संचालन करने लगे। कुछ बसों पर अनुमति के बिना दूसरे ऑपरेटर का नाम लेख करा दिया गया तथा शासन की योजना से संबंधित चिन्ह भी हटा दिये गये, जो अनुमत्य नहीं थे।

इस प्रकार 3 बसों के विक्रय पर उन पर दी गई सब्सिडी 23,86,800 रुपये का दुरूपयोग विगत 1 वर्ष से किया जा रहा था ऑपरेटर द्वारा बताया गया कि बैंक में सिबिल खराब होने से उसे लोन प्राप्त नहीं हो रहा है जिससे वह बसें क्रय नहीं कर पा रहा था। इस प्रकार उपरोक्त प्रकरण में देवास सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के सीईओ और देवास एसडीएम प्रदीप सोनी, सीओओ सूर्यप्रकाश तिवारी तथा विश्वास ट्रांसपोर्ट के डायरेक्टर विजय गोस्वामी एवं प्रणय गोस्वामी द्वारा शासकीय धनराशि की क्षति पहुंचाई गई तथा पद का दुरूपयोग कर टेण्डर का संचालन उचित प्रकार से नहीं किया एवं शर्तों का घोर उल्लंघन किया गया।

इस कारण से लोकायुक्त पुलिस ने इन सभी के खिलाफ धारा 7, 13 (1) ए, 13 (2) एवं भादंवि की धारा 409, 420 एवं 120 बी के अंतर्गत केस दर्ज करके मामले की जांच की जा रही है।

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