निर्भया गैंगरेप: दो दोषियों के क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई, जानें क्या है ये जिसके सहारे बचना चाहते हैं फांसी की सजा से

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 14, 2020 08:29 AM2020-01-14T08:29:55+5:302020-01-14T08:29:55+5:30

15 दिसंबर को अभियुक्त विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने अपनी मौत की सजा पर पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

know about curative petition in india nirbhaya gang rape case | निर्भया गैंगरेप: दो दोषियों के क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई, जानें क्या है ये जिसके सहारे बचना चाहते हैं फांसी की सजा से

निर्भया गैंगरेप: दो दोषियों के क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई, जानें क्या है ये जिसके सहारे बचना चाहते हैं फांसी की सजा से

Highlights दिल्ली की एक अदालत ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया कि वे शेष कानूनी विकल्प हासिल कर लें। चार दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया जाएगा।

निर्भया गैंगरेप दोषी विनय कुमार और मुकेश के क्‍यूरेटिव पेटिशन पर आज (14 जनवरी) सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। दोषी विनय कुमार ने सबसे पहले आठ जनवरी 2020 को क्यूरेटिव पिटिशन दायर की थी। बाद में दोषी करार दिए गए चार में से एक मुकेश ने भी क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की थी। 

निर्भया गैंगरेप मामले के चारों दोषियों को दिल्ली की एक कोर्ट ने सात जनवरी 2020 को डेथ वॉरन्ट जारी किया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी के लिए 22 जनवरी, 2020 की तारीख दी है। ऐसे में आइए जानते है कि क्या है क्यूरेटिव पिटिशन, जिसके सहारे से फांसी की सजा से बचना चाहते हैं दोषी...

जानें क्या है क्यूरेटिव पिटिशन

क्यूरेटिव पिटिशन कोर्ट में किसी फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने का यह अंतिम न्यायिक चरण है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक क्यूरेटिव पिटिशन एक न्यायिक प्रकिया के तहत दायर की जाती है। इसमें दायर करने वाले पक्ष को कोर्ट को यह स्पष्ट करना होता है कि आखिर वो किस आधार पर फैसले को चुनौती दे रहा है। इस याचिका को वरिष्ठ वकील द्वारा सर्टिफाइड करना जरूरी होता है।  इस क्यूरेटिव पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट के तीन वरिष्ठतम जजों और जिन जजों की कोर्ट से फैसला सुनाया गया है, वहां भेजना भी जरूरी होता है।

निर्भया मामले से जुड़े घटनाक्रम

उच्चतम न्यायालय ने निर्भया मामले में चार में से एक अभियुक्त अक्षय कुमार सिंह की मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। सात साल पहले 16 दिसंबर को 23 वर्षीय एक लड़की से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले का पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है:

- 16 दिसंबर, 2012: अपने पुरुषमित्र के साथ जा रही एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ एक बस में छह लोगों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक दुष्कर्म करने और बर्बर हमला करने बाद जख्मी हालत में उसे उसके दोस्त के साथ चलती बस से बाहर फेंक दिया। पीड़ितों को सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया।

-17 दिसंबर: आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए देश भर में भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। - पुलिस ने चारों आरोपियों- बस चालक राम सिंह, उसके भाई मुकेश, सहयोगी विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की।

-18 दिस‍ंबर: राम सिंह सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

- 20 दिस‍ंबर: पीड़िता के दोस्त का बयान दर्ज किया गया।

- 21 दिस‍ंबर: दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़िता के दोस्त ने आरोपियों में से एक मुकेश की पहचान की। छठे आरोपी अक्षय कुमार सिंह को पकड़ने के लिए हरियाणा और बिहार में छापेमारी की गई।

-21-22 दिसंबर: अक्ष्रय को बिहार के औरंगाबाद जिले से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया। पीड़िता ने अस्पताल में एसडीएम के सामने अपना बयान दर्ज कराया।

-23 दिसंबर: निषेधाज्ञा की अवहेलना कर प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने में दिल्ली पुलिस के सिपाही सुभाष तोमर को गंभीर चोटें आयीं।

-25 दिसंबर: पीड़िता की हालत गंभीर हो गई।

-26 दिसंबर:दिल का दौरा पड़ने के बाद पीड़िता की हालत और गंभीर हो गई जिसे देखते हुए सरकार ने पीड़िता को विमान से सिंगापुर के माउण्ट एलिजाबेथ अस्पताल में स्थानांतरित किया गया।

- 29 दिस‍ंबर: पीड़िता ने गंभीर चोटों और शारीरिक समस्यायों से जुझते हुए सुबह 2 बजकर 15 मिनट पर दम तोड़ दिया। पुलिस ने आफआईआर में हत्या की धाराएं जोड़ दीं।

- दो जनवरी 2013: तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने यौन उत्पीड़न मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए त्वरित अदालत का उद्घाटन किया।

- तीन जनवरी, 2013: पुलिस ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौनाचार और डकैती की धाराओं में आरोप पत्र दायर किए।

- पांच जनवरी: अदालत ने आरोप पत्रों पर संज्ञान लिया। - सात जनवरी: अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई के आदेश दिए।

- 17 जनवरी: त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू की।

- 28 जनवरी: किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि आरोपी का नाबालिग होना सबित हो चुका है।

- दो फरवरी: त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।

- 28 फरवरी: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए।

-11 मार्च: राम सिंह ने तिहाड़ जेल में अत्महत्या कर ली।

- 22 मार्च: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मीडिया को अदालत की कार्यवाही को रिपोर्ट करने की अनुमति दी।

- पांच जुलाई: किशोर न्याय बोर्ड में नाबालिग आरोपी के खिलाफ सुनवाई पूरी हुई। किशोर न्याय बोर्ड ने 11 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया।

- आठ जुलाई: त्वरित अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही दर्ज की।

- 11 जुलाई: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार की घटना से एक रात पहले 16 दिसंबर को एक बढ़ई की दुकान में घुसकर चोरी करने का दोषी पाया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन अन्तर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को मामले की सुनवाई को कवर करने की अनुमति दी।

-22 अगस्त: त्वरित अदालत में चारों वयस्क आरोपियों के मुकदमे में अंतिम दलीलों पर सुनवाई शुरू की।

- 31 अगस्त: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए सुधार गृह में तीन साल गुजारने की सजा दी।

- तीन सितंबर: त्वरित अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया।

- 10 सितंबर: अदालत ने मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार और लड़की की हत्या और उसके पुरुष मित्र की हत्या का प्रयास सहित 13 अपराधों में दोषी करार दिया।

- 13 सितंबर: अदालत ने चारों अपराधियों को मौत की सजा सुनाई।

- 23 सितंबर: उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा अपराधियों को मौत की सजा दिए जाने के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई शुरू की।

- तीन जनवरी 2014: उच्च न्यायालय ने अपराधियों की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।

- 13 मार्च: उच्च न्यायालय ने चारों अपराधियों की मौत की सजा बरकरार रखी।

- 15 मार्च: दो अभियुक्तों मुकेश और पवन की याचिका पर उच्चतम न्यायलय ने सजा पर रोक लगा दी। बाद में सभी अभियुक्तों की सजा पर रोक लगा दी गई।

-15 अप्रैल: उच्चतम न्यायलय ने पुलिस से पीड़िता द्वारा मृत्यु पूर्व दिये गए बयान को पेश करने के लिए कहा।

- तीन फरवरी 2017: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अभियुक्तों की मौत की सजा पर फिर से सुनवाई होगी।

- 27 मार्च: उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया।

- पांच मई: सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड को सदमे की सुनामी और दुर्लभतम अपराध करार दिया।

 - आठ नवंबर: एक दोषी मुकेश ने उच्चतम न्यायालय में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की।

- 12 दिसंबर: दिल्ली पुलिस ने उच्चतम न्यायालय में मुकेश की याचिका का विरोध किया।

- 15 दिसंबर: अभियुक्त विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने अपनी मौत की सजा पर पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

- चार मई 2018: उच्चतम न्यायालय ने दो अभियुक्तों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया।

- 9 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों की पुनर्विचार याचिका खारिज की।

-10 दिसंबर 2019: चौथे अभियुक्त अक्षय ने उच्चतम न्यायालय में अपनी मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की।

- 18 दिसंबर: उच्चतम न्यायालय ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज की।

- दिल्ली की एक अदालत ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया कि वे शेष कानूनी विकल्प हासिल कर लें। 

- चार दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया जाएगा।

Web Title: know about curative petition in india nirbhaya gang rape case

क्राइम अलर्ट से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे