सोशल मीडिया पर अभी कुछ दिनों से यौन शोषण के खिलाफ #MeToo और #timesup जैसे कैंपेन चल रहे हैं। अब एक ऐसा ही एक कैंपेन फिर शुरू हुआ है। जिसमें हज और अन्य धार्मिक स्थानों पर जाने वाली महिलाएं अपनी आपबीती बता रही हैं। सोशल मीडिया पर यह अभियान #MosqueMeToo नाम से चल रहा है। जिसमें महिलाएं अपने साथ धार्मिक स्थानाओं में हुए यौन शोषण के बारे में बता रही हैं।
इस कैंपेन की शुरुआत लेखिका और पत्रकार मॉना ट्हावी ने की थी। उन्होंने सबसे पहले 2013 में हज के दौरान उनके साथ हुई यौन शोषण की घटना का #MosqueMeToo के साथ ट्विटर पर शेयर किया। उन्होंने कहा कि जब मैं 11 साल की थी तो मेरा यौन उत्पीड़न हुआ था। जब मैं हज के यात्रा पर थी। उसके बाद एक डॉक्टर ने मेरा सात साल तक यौन शोषण किया।
इस ट्वीट को शेयर करते हुए पत्रकार मॉना ट्हावी ने यह भी बताया कि मेरे ट्वीट को पढ़कर एक मुस्लिम महिला ने अपनी मां के साथ हुए यौन शोषण का अनुभव मुझे बताया। उन्होंने मुझे कविता भी भेजी थी। उन्हें जवाब देते वक्त मैं खुद को भावुक होने से रोक नहीं पाई।
इसके बाद दुनिया भर में मुस्लिम पुरुष और महिलाएं इस #MosqueMeToo हैशटैग के साथ 24 घंटे में हजार बार ट्वीट किया गया। यह फारसी ट्विटर पर टॉप 10 ट्रेंड में आ गया। ट्विटर पर अपना अनुभव शेयर करने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्हें भीड़ हज के भीड़ में गलत तरीके से छुआ गया और पकड़ने की कोशिश की गई।
@NewtmasGrape हैंडल से लिखा कि जब वह मात्र 10 साल की उम्र में थीं तब एक मस्जिद में एक व्यक्ति ने पीछे से उनके अंगों को बुरी तरह से छुआ था।
वहीं एक यूजर एंग्गी लेगोरियो ने ट्विट किया, "मैंने #MosqueMeToo के बारे में पढ़ा। हज 2010 मैंने ऐसा कुछ देखा भी था। लोग सोचते हैं कि मक्का मुस्लिमों के लिए एक पवित्र जगह इसलिए वहां कोई कुछ गलत नहीं करेगा। लेकिन ऐसा नहीं है।
आप देखें उन महिलाओं के ट्वीट