यौन उत्पीड़न-रोधी कानून का दायरा एक ही विभाग-कार्यालय में हुए मामले तक सीमित नहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय का अहम फैसला, जानें वो वजह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 3, 2023 16:12 IST2023-07-03T16:11:50+5:302023-07-03T16:12:34+5:30

महिला कर्मचारी का उसके ही कार्यालय या विभाग में काम करने वाले किसी अन्य कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है, तब ही यह एसएचडब्ल्यू अधिनियम के दायरे में आएगा, बल्कि यह उन मामलों में भी लागू होगा, जहां आरोपी कर्मचारी किसी अन्य स्थान पर कार्यरत है।

Delhi High Court important decision scope anti-sexual harassment law is not limited to case in same department-office | यौन उत्पीड़न-रोधी कानून का दायरा एक ही विभाग-कार्यालय में हुए मामले तक सीमित नहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय का अहम फैसला, जानें वो वजह

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Highlightsकामकाजी माहौल महिलाओं के लिए भी उतना ही सुरक्षित होना जरूरी है, जितना कि पुरुषों के लिए। खतरा होने की आशंका जताना भी हमारे संवैधानिक लोकाचार की दृष्टि से अपमानजनक है।आईआरएस अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया गया था।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम और निवारण) अधिनियम, 2013 (एसएचडब्ल्यू अधिनियम) के दायरे को ‘‘बिल्कुल भी सीमित नहीं’’ किया जा सकता।

अदालत ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि एक महिला कर्मचारी का उसके ही कार्यालय या विभाग में काम करने वाले किसी अन्य कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है, तब ही यह एसएचडब्ल्यू अधिनियम के दायरे में आएगा, बल्कि यह उन मामलों में भी लागू होगा, जहां आरोपी कर्मचारी किसी अन्य स्थान पर कार्यरत है।

अदालत ने कहा कि कामकाजी माहौल महिलाओं के लिए भी उतना ही सुरक्षित होना जरूरी है, जितना कि पुरुषों के लिए। इसने कहा, ‘‘किसी महिला द्वारा कार्यस्थल पर उसकी सुरक्षा से समझौता किये जाने की या उसे खतरा होने की आशंका जताना भी हमारे संवैधानिक लोकाचार की दृष्टि से अपमानजनक है।’’

न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा पारित उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली एक आईआरएस अधिकारी की याचिका को खारिज कर दिया गया था।

आईसीसी ने अधिकारी को नोटिस जारी कर उन्हें पेश होने के लिए कहा था। एक महिला अधिकारी ने उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की है। पीठ ने कहा, ‘‘एसएचडब्ल्यू अधिनियम में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इसके दायरे को केवल उन मामलों तक सीमित करता है जहां एक महिला कर्मचारी का उसके ही कार्यालय में काम करने वाले किसी अन्य कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है।’’

पीठ ने कहा कि यह उन मामलों में भी लागू होगा, जहां आरोपी कर्मचारी किसी अन्य स्थान पर कार्यरत है। पीठ ने कहा, ‘‘कैट ने भी ऐसा ही माना और हम इससे पूरी तरह सहमत हैं।’’ उच्च न्यायालय 2010 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिस पर केंद्रीय मंत्रालय के एक अलग विभाग में कार्यरत एक अधिकारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

पीड़िता ने अपने विभाग की आईसीसी में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद अधिकारी को समिति से एक नोटिस मिला, जिसमें उन्हें उपस्थित होने के लिए कहा गया। हालांकि, उन्होंने महिला की शिकायत पर गौर करने के आईसीसी के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए कैट का रुख किया। कैट ने अधिकारी की याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। 

Web Title: Delhi High Court important decision scope anti-sexual harassment law is not limited to case in same department-office

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