बिहार के छपरा में दारोगा और सिपाही हत्याकांड में जिला परिषद अध्यक्ष मीना अरुण गिरफ्तार
By एस पी सिन्हा | Published: August 27, 2019 05:44 AM2019-08-27T05:44:51+5:302019-08-27T05:44:51+5:30
बिहारः 20 अगस्त को छपरा के मढौरा में पुलिस टीम पर अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी और एके-47 के साथ ही दारोगा की पिस्तौल को भी लूट लिया था.
बिहार के सारण जिले के मढौरा में दारोगा मिथिलेश और सिपाही फारुख की हत्या के मामले में आरोपित जिला परिषद अध्यक्ष मीना अरुण को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया. जबकि इस मामले में आरोपित अभिषेक सिंह ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. जिले में कुछ दिनों पहले ही दारोगा मिथिलेश साव और हवलदार की हत्या कर अपराधियों ने एके- 47 और दारोगा की सर्विस पिस्टल लूट लिया था.
इस मामले में पुलिस ने घटना की मुख्य आरोपी जिला परिषद अध्यक्ष मीना अरुण को उनके कार्यालय से गिरफ्तार किया है. इसके बाद पूछताछ के लिए मीना अरुण को नगर थाना लाया गया. हत्याकांड के संबंध में एसपी हरकिशोर राय पूछताछ कर रहे हैं.
वहीं, दूसरे एक अन्य आरोपित अभिषेक कुमार ने न्यायालय में आत्मसमर्पण किया. बता दें कि 20 अगस्त को मढौरा में एसआईटी के दारोगा और सिपाही की हत्या हुई थी. इस मामले में मीणा अरुण सहित सात लोगों को नामजद किया गया था. मीणा अरुण का पिस्टल घटनास्थल पर मिला था.
सूत्रों का कहना है कि एक खास रणनीति के तहत पुलिस के हाथ लगी है. कई दिनों से छापेमारी के बावजूद पुलिस को कोई सफलता नहीं मिल पाई थी. माना जा रहा है कि मीना अरुण ने पुलिस को स्वयं के हवाले कर दिया.
इधर, इस मामले में आरोपित अभिषेक सिंह के कोर्ट में सरेंडर करने के बाद अन्य चार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है. संभावना यह भी जताई जा रही है इसमें से कुछ आरोपित कोर्ट में सरेंडर कर देंगे.
इस मामले में मीना अरुण के पति अरुण सिंह पहले ही बलिया जेल में बंद है, जिन्हें रिमांड पर लेने की पुलिस तैयारी कर रही है. जिप अध्यक्ष मीना अरुण की गिरफ्तारी के बाद एसपी हर किशोर राय ने उनसे पूछताछ की. इसके बाद मीना अरुण को कोर्ट में हाजिर करा कर जेल भेजा जाएगा.
इसके पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है. रिवाल्वर घर पर छूटा था और उसे कौन उठा कर ले गया पता नहीं. राजनीतिक साजिश के तहत भी फंसाने की कोशिश की गई है.
यहां बता दें कि 20 अगस्त को छपरा के मढौरा में पुलिस टीम पर अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी और एके-47 के साथ ही दारोगा की पिस्तौल को भी लूट लिया था. अपराधियों की फायरिंग में दारोगा मिथिलेश कुमार को गोली लगी थी और उन्होंने मौके पर ही दम तोड दिया था. उनके साथ ही सिपाही फारूक अहमद और संजीव कुमार भी जख्मी हुए जिसमें फारूक अहमद की मौत हो गई थी.
इस घटना ने पूरे पुलिस महकमे को कटघरे में ला खड़ा किया था. जिसके बाद डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने इस घटना की कड़ा शब्दों में निंदा की थी और हर हाल में अपराधियों को गिरफ्तार करने की बात कही थी.
इस एनकाउंटर के बाद पुलिसिया व्यवस्था पर भी सवाल उठे थे क्योंकि अपराधियों ने हत्याकांड को अंजाम देने के बाद एक एके-47 राइफल और दारोगा की सर्विस पिस्टल भी लूट थी. मृतक दारोगा मिथिलेश साव के परिजनों ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी, जिसे डीजीपी ने ठुकरा दिया था.
बताया जा रहा है था कि शहर में अपराधी जिला परिषद अध्यक्ष के रिश्तेदार की हत्या की साजिश रचने के बाद इसे पूरा करने के मकसद से आए थे. पुलिस की एसआईटी टीम ने इसी इनपुट की सूचना पर अपराधियों की धरपकड़ लिए जाल बिछाया था, जिसमें पुलिसकर्मी ही शहीद हो गए.