रेप आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल जमानत पर रिहा, जलाधंर में समर्थकों ने किया भव्य स्वागत
By धीरज पाल | Published: October 18, 2018 12:40 PM2018-10-18T12:40:12+5:302018-10-18T12:43:57+5:30
बता दें कि पाला के उप कारागार के बाहर बड़ी संख्या में मुलक्कल के समर्थकों और निर्दलीय विधायक पीसी जॉर्ज ने उसका स्वागत किया। केरल पुलिस की गहन जांच के बाद 25 दिन पहले उसे गिरफ्तार किया था।
केरल में नन के साथ अनेक बार बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार रोमन कैथोलिक बिशप फ्रैंको मुलक्कल को मंगवार को यहां के निकट एक उप कारागार से जमानत पर रिहा कर दिया गया। बता दें कि 15 अक्टूबर केरल हाई कोर्ट ने इसकी मंजूरी दी थी। बिशप फ्रैंको मुलक्कल के जेल से रिहा होन के बाद जालंधर में उनका फुलों और मालाओं के साथ भव्य स्वागत किया गया।
बता दें कि पाला के उप कारागार के बाहर बड़ी संख्या में मुलक्कल के समर्थकों और निर्दलीय विधायक पीसी जॉर्ज ने उसका स्वागत किया। केरल पुलिस की गहन जांच के बाद 25 दिन पहले उसे गिरफ्तार किया था।
गिरजाघर के सूत्रों ने बताया कि पादरी पहले त्रिसूर स्थित अपने घर जाएंगे फिर शाम को जालंधर के लिए रवाना हो जाएंगे। अदालत ने सशर्त जमानत मंजूर की थी। अदालत ने बिशप को निर्देश दिए थे कि उपकारागार से रिहाई के 24 घंटे के भीतर उन्हें राज्य छोड़ना होगा।
बता दें कि बीते तीन अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने मलक्कल की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। उस वक्त अदालत ने अभियोजन की यह दलील स्वीकार कर ली थी कि समाज में ऊंचा दर्जा रखने वाला यह आरोपी जमानत दिए जाने पर इस मामले के गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा।
मलक्कल अभी कोट्टायम जिले के पाला की एक उप-जेल में बंद हैं। एक मजिस्ट्रेट अदालत की ओर से अपनी न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ाए जाने के बाद उन्होंने फिर उच्च न्यायालय का रुख कर जमानत की गुहार लगाई। पुलिस ने आरोपी पादरी की जमानत अर्जी का विरोध किया और कहा कि इस मामले में जांच अभी चल रही है।
जून में कोट्टायम पुलिस को दी गई शिकायत में नन ने आरोप लगाया था कि मलक्कल ने मई 2014 में कुरविलांगड़ के एक गेस्ट हाउस में उनसे बलात्कार किया और बाद में कई मौकों पर उनका यौन शोषण किया।
नन ने कहा कि चर्च के अधिकारियों ने जब पादरी के खिलाफ उनकी शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाया तो उन्होंने पुलिस का रुख किया।
बहरहाल, मलक्कल ने बलात्कार और यौन शोषण के आरोपों को ‘‘बेबुनियाद’’ और ‘‘मनगढ़ंत’’ करार देते हुए इस बात पर जोर दिया कि नन ने आरोप इसलिए लगाए क्योंकि कैथलिक व्यवस्था ने उनकी मांगें मानने से इनकार कर दिया था। पिछले महीने मलक्कल ने जालंधर डायोसीज का पादरी पद छोड़ दिया था।
(भाषा से इनपुट)