बिहार: गैगरेप पीड़िता को मामला दर्ज करने के बदले टहलाते रहे थानाध्यक्ष, अकेले में पूछे आपत्तिजनक सवाल
By एस पी सिन्हा | Published: June 29, 2019 06:30 PM2019-06-29T18:30:39+5:302019-06-29T20:41:41+5:30
पीड़िता ने थानाध्यक्ष और थाने के पुलिसकर्मियों पर बड़ा आरोप लगाते हुए बताया कि मुझसे अकेले में थानाध्यक्ष राधव शरण ने पूछताछ की और मेरे साथ अभद्र व्यवहार किया.
बिहार में पुलिस की कार्यशैली कैसी है, इसका एक ज्वलंत मामला सामने आया है, जहां एक सामूहिक दुष्कर्म पीड़ित युवती न्याय के लिए 5 दिनों तक दर-दर भटकती रही. लेकिन थाना में मामला दर्ज नहीं हो सका. बाद में बीरपुर एएसपी की पहल पर थाना में मामला दर्ज हो सका. घटना सुपौल जिले के छातापुर थाना क्षेत्र की है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के छातापुर थाना क्षेत्र के माधोपुर पंचायत से बीते रविवार को एक 18 वर्षीय युवती का गांव के ही दो युवकों ने अपहरण कर लिया और दो दिनों तक लगातार सामूहिक दुष्कर्म किया. पीड़िता ने थानाध्यक्ष और थाने के पुलिसकर्मियों पर बड़ा आरोप लगाते हुए बताया कि मुझसे अकेले में थानाध्यक्ष राधव शरण ने पूछताछ की और मेरे साथ अभद्र व्यवहार किया.
उन्हें जो बात नहीं पूछनी चाहिए थी उन्होंने वैसे आपत्तिजनक सवाल मुझसे पूछे और मुझे भयभीत कर और अपमानित कर आवेदन बदलने का दवाब बनाया. उसने बताया है कि गांव के ही दो युवकों द्वारा 23 जून को अपहरण कर लिया गया. उसके साथ दोनों युवकों ने दो दिनों तक लगातार सामूहिक रूप से दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. फिर 25 जून को छातापुर के क्वाटर चौक पर उतारकर फरार हो गए.
इसके बाद इस मामले को लेकर पीड़िता द्वारा छातापुर थाना में आवेदन भी दिया गया, जिसमें लिखा गया कि 23 जून को लगभग 10 बजे दिन में गांव के ही मोहम्मद सरफराज एवं करीमन मोहम्मद बबलू साफी द्वारा घर के निकट से ही जबरन उसका हथियार के बल पर अपहरण कर लिया गया. फिर सुपौल की ओर ले जाकर अज्ञात स्थान पर उक्त दोनों युवकों ने उसके साथ दो दिन तक बारी-बारी से दुष्कर्म किया. वहीं पीड़िता को जान से मारने की धमकी भी देते रहे.
पीड़िता ने बताया कि जब 25 जून को अपहरणकर्ता द्वारा उसे मुक्त किया तो वो खुद 26 जून को पुनः छातापुर थाना में लिखित आवेदन दिया, जिसके बाद छातापुर थानाध्यक्ष ने पहले तो आवेदन लेने से इन्कार कर दिया. बाद में जब युवती बार-बार थाने पहुंचने लगी तो थक हार कर छातापुर थानाअध्यक्ष राधव शरण ने आवेदन तो लिया पर उस पर आवेदन बदलने का दबाव देने लगे.
गुरुवार को जब मैं अपनी पुत्री के साथ थाने पहुंचा तो वहां थानाध्यक्ष के इंतजार में हम घंटों बैठे रहे. थानाध्यक्ष राघव शरण से जब मुलाकात नहीं हुई तब डीएसपी बीरपुर से मोबाइल पर शिकायत दर्ज कराई. वहीं, छातापुर थाने की पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए पीड़ित परिवार ने बताया कि थानाध्यक्ष द्वारा कार्यालय कक्ष में पीड़िता को बुलाया गया और मां और पिता दोनो को वहां से बाहर निकाल दिया गया.
बिना किसी महिला पुलिस के थानाध्यक्ष ने लड़की को अपने कक्ष में पूछताछ की. इसके साथ ही पीड़िता के परिजनों ने बताया कि अपनी पुत्री को न्याय दिलाने के लिए वे परेशान हैं और मामले में छातापुर थाना के अलावा महिला थाना से लेकर डीएसपी बीरपुर तथा एसपी सुपौल से भी गुहार लगाई है.