नीतीश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए चार घंटे थाने में बैठे IAS अधिकारी, फिर भी दर्ज नहीं हुआ मामला
By एस पी सिन्हा | Updated: July 17, 2021 20:33 IST2021-07-17T18:41:12+5:302021-07-17T20:33:08+5:30
तीन साल से ज्यादा समय तक जेल में रह चुके सुधीर कुमार कह रहे हैं कि मनु महाराज ने जालसाजी कर उन्हें फंसाया। वे मामला दर्ज कराने के लिए 36 पेज का आवेदन लेकर वह चार महीने से पटना के पुलिस थानों के चक्कर काट रहे हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर
बिहार के बहुचर्चित कर्मचारी चयन आयोग घोटाले के आरोपी आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार पटना के तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज पर केस करना चाहते हैं। तीन साल से ज्यादा समय तक जेल में रह चुके सुधीर कुमार कह रहे हैं कि मनु महाराज ने जालसाजी कर उन्हें फंसाया। वे मामला दर्ज कराने के लिए 36 पेज का आवेदन लेकर वह चार महीने से पटना के पुलिस थानों के चक्कर काट रहे हैं। आज पटना के एससी-एसटी थाने पहुंचे, जहां खूब ड्रामा हुआ। थाने में लगभग चार घंटे से ज्यादा समय तक मौजूद रहने के बाद भी उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी।
बताया जाता है कि सुधीर कुमार ने थानेदार को दो सेट में केस दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है। आवेदन गंभीर था लिहाजा थानाध्यक्ष वहां से आवेदन लेकर निकल गए। इधर, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी थानाध्यक्ष के चैंबर में बैठे रहे। इस बीच उनको समझाने के लिए भी एसएसपी के निर्देश पर सचिवालय थाना और गर्दनीबाग थानाध्यक्ष पहुंचे और बंद कमरे में उनको समझाने का प्रयास किया जाता रहा। उधर, एससी-एसटी थाने के थानेदार ने बताया कि सुधीर कुमार ने जो आवेदन दिया है, उसे रिसीव कर लिया गया है। 36 पेज का आवेदन दिया गया है। उसका अध्ययन किया जा रहा है. उसके बाद जो भी विधि सम्मत कार्रवाई होगी वह की जाएगी। थानेदार ने यह बताने से इनकार कर दिया कि आखिरकार आवेदन में लिखा क्या गया है? इधर, एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि आवेदन मिलने के बाद जांच की जाएगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।
वहीं, सुधीर कुमार का कहना है कि मामला दर्ज होने के बाद आखिर उन्हें रिसिविंग क्यों नहीं दी जा रही है? जब एसएसपी ने यह बताया कि मामले की जांच करके कार्रवाई की जाएगी तब वो गुस्से में आ गए। केस दर्ज कराने में विफल रहने पर आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार ने कहा कि 4 घंटे तक थाने में बैठे रहे। थानेदार ने केस दर्ज करने से इनकार कर दिया है। बताया गया कि अंग्रेजी में आवेदन लिखा गया है। सुधीर कुमार से जब पूछा गया कि किन लोगों पर केस दर्ज करा रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार तक के लोगों पर केस दर्ज करने का आवेदन दिया है।
उन्होंने कहा कि आईपीएस अधिकारी व पटना के पूर्व एसएसपी मनु महाराज के खिलाफ भी फर्जीवाड़ा, जाली कागजात व अन्य आरोप में केस दर्ज कराने का आवेदन दिया था, लेकिन थानेदार ने केस दर्ज नहीं किया। आवेदन में कितने लोगों पर केस दर्ज की शिकायत की गई, इस पर आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार ने कहा कि इसका खुलासा अभी नहीं करेंगे क्योंकि केस अभी दर्ज नहीं हुआ है। एससी-एसटी थाने से निकले सुधीर कुमार से मीडिया ने पूछा कि आखिरकार वे किस पर और क्यों प्राथमिकी करना चाहते हैं? सुधीर कुमार ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। मीडिया ने जब बहुत कुरेदा तो वे बोले कि उनके साथ जालसाजी हुई है। उनसे पूछा गया कि आखिरकार जालसाजी किसने की है? कई बार सवाल पूछने पर सुधीर कुमार ने कहा कि मनु महाराज ने उनके साथ जालसाजी की है।
दरअसल, कर्मचारी चयन आयोग घोटाले की जांच पटना पुलिस की एसआईटी ने की थी और उस एसआईटी का नेतृत्व तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज कर रहे थे। सुधीर कुमार ने कहा कि उन्होंने पिछले 5 मार्च को ही पटना के शास्त्री नगर थाने में मनु महाराज के खिलाफ प्राथमिकी करने के लिए आवेदन दिया था। जब वे थाने में आवेदन दे रहे थे तो वहां पटना के एसएसपी औऱ डीएसपी मौजूद थे। उन्हें रिसीविंग दे दी गई, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। सुधीर कुमार ने कहा कि उन्होंने पटना के एसएसपी को पत्र लिखकर जानकारी मांगी कि उनके आवेदन पर क्या कार्रवाई हुई? कोई जवाब नहीं आया। आरटीआई से भी जानकारी मांगी गई, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला। ऐसे में वे फिर से एससी-एसटी थाने में प्राथमिकी कराने आए हैं। यहां भी प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय आवेदन की रिसीविंग दी जा रही है।
थानाध्यक्ष आवेदन लेकर थाने से चले गए
उन्हांने कहा कि थानाध्यक्ष आवेदन लेकर थाने से भाग गया है। कहां गया है पता ही नहीं, समझ सकते हैं कि हमने थाने में आवेदन दिया और हमारा आवेदन यहां से बाहर चला गया। बिहार सरकार पर तंज कसते हुए बिहार के पूर्व गृह सचिव ने कहा कि यहां कानून का राज है। बिहार की सुशासन की सरकार पर तंज कसते हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा कि समझ लीजिए यही कानून का राज है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को केस दर्ज कराने के लिए इंतजार करना पड रहा है। उन्होंने नीतीश सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि बिहार में कानून का राज है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद ही वह बताएंगे कि किन- किन पर प्राथमिकी की गई है? वैसे कई सारे लोग हैं।
बिहार कर्मचारी चयन आयोग के रहे हैं अध्यक्ष
यहां बता दें कि सुधीर कुमार बिहार कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। उन पर आरोप था कि 2014 में अध्यक्ष पद पर रहने के दौरान इंटर स्तरीय संयुक्त परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, जिसमें उन्हें दोषी बताया गया था। इसी मामले में 2017 में इनको निलंबित करते हुए गिरफ्तार किया गया था। 1988 बैच के आईएएस अधिकारी सुनील कुमार राज्य में गृह सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह चुके हैं। बाद में वह बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष बनाए गए थे, पेपर लीक कांड में उनके ऊपर कार्रवाई की गई थी। साढे तीन साल तक जेल में रहने के बाद पिछले साल 7 अक्टूबर को वह जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आए थे। जमानत मिलने के बाद सरकार ने उन्हें निलंबन मुक्त कर राजस्व पार्षद का सदस्य बनाया था। फिलहाल वह राजस्व पार्षद के अपर सदस्य के तौर पर तैनात हैं। 31 मार्च 2022 को वह पद से रिटायर होंगे।