बिग बॉस विनर मुनव्वर फारुकी के खिलाफ तीन साल पहले इंदौर में दर्ज हुआ था केस, अब तक आरोप पत्र पेश नहीं, जानें मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 30, 2024 04:07 PM2024-01-30T16:07:08+5:302024-01-30T16:08:53+5:30
अभियोजन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मामले में भारतीय दंड विधान की धारा 295-ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जान-बूझकर किए गए विद्वेषपूर्ण कार्य) के तहत आरोप पत्र पेश किए जाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है।
इंदौर: हिंदू देवी-देवताओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियों के आरोप में हास्य कलाकार मुनव्वर फारुकी और चार अन्य लोगों के खिलाफ इंदौर में प्राथमिकी दर्ज होने को तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन इस बहुचर्चित मामले में जिला अदालत में अब तक आरोप पत्र पेश नहीं किया जा सका है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
बत्तीस साल के फारुकी रियलिटी टीवी शो "बिग बॉस" के 17वें संस्करण के हाल ही में विजेता बने हैं। वह 2022 में दो ओटीटी मंचों पर प्रसारित एक अन्य रियलिटी शो "लॉक अप" के पहले संस्करण के भी विजेता रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि देवी-देवताओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियों के जरिये हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में फारुकी और चार अन्य लोगों को एक जनवरी 2021 की रात इंदौर के एक कैफे से गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने बताया कि इन लोगों के खिलाफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थानीय विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ की शिकायत पर शहर के तुकोगंज पुलिस थाने में भारतीय दंड विधान की धारा 295-ए तथा अन्य प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। तुकोगंज थाने के प्रभारी जितेंद्र सिंह यादव ने बताया, "इस मामले में हमारी जांच जारी है और अभी अदालत में आरोप पत्र पेश नहीं किया गया है।"
अभियोजन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मामले में भारतीय दंड विधान की धारा 295-ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जान-बूझकर किए गए विद्वेषपूर्ण कार्य) के तहत आरोप पत्र पेश किए जाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि मामले में अदालत में आरोप पत्र पेश करने की अनुमति के लिए इंदौर पुलिस की ओर से राज्य सरकार को 29 जनवरी 2021 को पत्र भेजा गया था।
उन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के हवाले से बताया कि भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 295-ए के तहत दर्ज किसी मामले में अदालत में आरोप पत्र पेश किए जाने से पहले राज्य सरकार से अनुमति जरूरी है। हास्य प्रस्तुति के लिए इंदौर आए फारुकी अपनी गिरफ्तारी के बाद शहर की केंद्रीय जेल में न्यायिक हिरासत के तहत 35 दिन बंद रहे थे। उन्हें उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद छह फरवरी 2021 को देर रात जेल से रिहा किया गया था।
(इनपुट- भाषा)