आर्यन के वकील मानशिंदे ने कहा- वे खुशकिस्मत हैं कि उनके पास 'बेस्ट लीगल टीम' है, हजारों लोग वकील नहीं रख सकते
By अनिल शर्मा | Updated: November 1, 2021 10:36 IST2021-11-01T10:25:18+5:302021-11-01T10:36:08+5:30
आर्यन की वकील सतीश मानशिंदे ने कहा- हजारों लोग गरीब हैं जो वकीलों का खर्च नहीं उठा सकते। हमारी न्यायिक प्रणाली को उनके बारे में सोचना चाहिए और तरीका सुधारना चाहिए।

आर्यन के वकील मानशिंदे ने कहा- वे खुशकिस्मत हैं कि उनके पास 'बेस्ट लीगल टीम' है, हजारों लोग वकील नहीं रख सकते
मुंबईः मुंबई क्रूज ड्रग्स केस में आर्यन खान की पैरवी करने वाले वकील सतीश मानशिंदे ने कहा है कि आर्यन भाग्यशाली थे कि उनके पिता शाहरुख खान ने उनके लिए सबसे अच्छी लीगल टीम हायर की। सतीश मानेशिंदे ने कहा कि अगर उनके खिलाफ कुछ भी नहीं मिलने के बाजवूद शाहरुख खान का बेटा '25 दिनों तक सफर कर सकते हैं तो उनका क्या होगा जो वकीलों का खर्च नहीं उठा सकते।
गौरतलब है कि एक लग्जरी क्रूज पर छापेमारी के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किए गए आर्यन को दो बार जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने उन्हें 28 अक्टूबर को जमानत दे दी।
दो निचली अदालतें अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने में विफल रहीं
बार एंड बेंच से बातचीत में मानशिंदे ने कहा- मुझे लगता है कि दो निचली अदालतें अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने में विफल रहीं। निचली अदालतों की अनिच्छा ने कानूनी व्यवस्था पर बोझ डाला है और उच्च न्यायालयों में मामले लंबित हैं। आर्यन भाग्यशाली है कि उनके पिता ने उन्हें वह लीगल टीम दिया जो उन्होंने सोचा था। आर्यन की वकील ने आगे कहा- हजारों लोग गरीब हैं जो वकीलों का खर्च नहीं उठा सकते। हमारी न्यायिक प्रणाली को उनके बारे में सोचना चाहिए और तरीका सुधारना चाहिए।
आर्यन को पहले ही गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए था
मानशिंदे ने आगे कहा कि आर्यन को पहले ही गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए था। हम उच्च न्यायालय के फैसले के बारे में उत्साहित हैं। हालांकि, कोई वसूली नहीं, कोई सबूत नहीं, कोई उपभोग नहीं, कोई कब्जा नहीं, कोई साजिश नहीं और कोई सचेत कब्जा नहीं था। उसे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए था।
अदालतों की हालत खराब है
अधिवक्ता ने कहा, आर्यन को 3 अक्टूबर को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था, और उसे तब जमानत मिल जानी चाहिए थी। मजिस्ट्रेट ने अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया, पूरे दिन मामले की सुनवाई की और फिर महसूस किया कि उसका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। यह सार्वजनिक समय की बर्बादी थी। देश की न्यायिक व्यवस्था को 'सबसे उपेक्षित व्यवस्था' बताते हुए मानेशिंदे ने कहा कि अदालतों की हालत खराब है और एक मजबूत न्यायपालिका के निर्माण के प्रयास किए जाने चाहिए।