29 साल तक चला 57 रुपये की चोरी का मुक़दमा, 26 साल तक सस्पेंड रहने के बाद साबित हुए बेगुनाह
By भारती द्विवेदी | Updated: September 4, 2018 09:47 IST2018-09-04T09:47:20+5:302018-09-04T09:47:33+5:30
इस मामले पर बात करते हुए उमाकांत कहते हैं- 'मैं तीन साल पहले रिटायर्ड हुआ हूं और पिछले 26 सालों से सस्पेंड था। मुझे नहीं पता क्या करूं और क्या कहूं।'

29 साल तक चला 57 रुपये की चोरी का मुक़दमा, 26 साल तक सस्पेंड रहने के बाद साबित हुए बेगुनाह
नई दिल्ली, 4 सितंबर: क्या सिर्फ 57.60 रुपए के लिए किसी की जिंदगी के 29 साल जाया हो सकते हैं? इस सवाल के जवाब में ज्यादातर लोग कहेंगे नहीं लेकिन जवाब है हां। कानपुर के उमाकांत मिश्रा के साथ ऐसा ही कुछ हुआ है। उमाकांत कानपुर के हरजेन्दर नगर एरिया पोस्ट ऑफिस में डाकिया का काम करते थे। खबर के मुताबिक, उमाकांत के सीनियर कलीग ने उन्हें 697.60 रुपए मनीऑर्डर करने के लिए दिए थे।
उमाकांत ने 300 रुपए का मनीऑर्डर करने के बाद बाकी की रकम अपनी सीनियर कलीग को लौटा दिया लेकिन उमाकांत के कलीग ने उनपर 57.60 रुपए चुराने का आरोप लगाकार उनके खिलाफ केस दर्ज कराया। 13 जुलाई 1984 को मामला दर्ज हुआ था। तब से लेकर अब तक इस केस में 350 बार सुनवाई हुई है। उमाकांत के खिलाफ ना सिर्फ मामला दर्ज हुआ बल्कि इस आरोप के चलते उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। 29 सालों में 350 सुनवाई के बाद उमाकांत को इस आरोप से बरी कर दिया गया है। ये साबित हो गया है कि उन्होंने पैसे नहीं चुराए थे।
इस मामले पर बात करते हुए उमाकांत कहते हैं- 'मैं तीन साल पहले रिटायर्ड हुआ हूं और पिछले 26 सालों से सस्पेंड था। मुझे नहीं पता क्या करूं और क्या कहूं।' वहीं उनकी पत्नी का कहना है- 'मैं फैसले से खुश हूं। लेकिन अगर हमें सही समय पर न्याय मिल गया होता तो मेरे बच्चों का करियर नहीं खराब होता। हम लंबे समय से पैसों की तंगी में जी रहे थे, जिसकी वजह से हमारा भविष्य खराब हो गया है।'