बिहार से लाए गए 45 बच्चों का हो रहा था शोषण, कराई जा रही थी बंधुआ मजदूरी, दिल्ली पुलिस ने ऐसे किया खुलासा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 27, 2019 14:42 IST2019-11-27T14:30:10+5:302019-11-27T14:42:37+5:30

टीओआई की खबर के मुताबिक, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बिहार के मधुबनी जिले से ज्यातर बच्चों की तस्करी की गई थी। हालांकि, उनमें से सात बच्चे बिहार के मधुबनी जिले के मेहतर पट्टी गांव के रहने वाले थे। उनमे से कुछ बच्चों की तस्करी दरभंगा और मोतिहारी से की गई थी। इस ऑपेशन का नेत्तृव करोल बाग के एसडीएम अंकुर मेश्राम ने किया था।

45 kids, mostly from Bihar, rescued from Karol Bagh units | बिहार से लाए गए 45 बच्चों का हो रहा था शोषण, कराई जा रही थी बंधुआ मजदूरी, दिल्ली पुलिस ने ऐसे किया खुलासा

दिल्ली में पुलिस और समाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर तस्करों की कैद से 45 बच्चों को कराया मुक्त

Highlights45 बच्चों को तस्करों के पास से मुक्त कराया है।बिहार के मधुबनी जिले से ज्यातर बच्चों की तस्करी की गई थी।

दिल्ली के करोल बाग स्थित घोड़े वाले इलाके के पास से बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) संगठन के कार्यकर्ताओं और पुलिस ने मिलकर 11 साल से 17 साल के बीच की उम्र के 45 बच्चों को तस्करों के पास से मुक्त कराया है। आपको बता दें कि एसडीएम के नेत्तृव में तीन घंटे तक ऑपरेशन चला। 

टीओआई की खबर के मुताबिक, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बिहार के मधुबनी जिले से ज्यातर बच्चों की तस्करी की गई थी। हालांकि, उनमें से सात बच्चे बिहार के मधुबनी जिले के मेहतर पट्टी गांव के रहने वाले थे। उनमे से कुछ बच्चों की तस्करी दरभंगा और मोतिहारी से की गई थी। इस ऑपेशन का नेत्तृव करोल बाग के एसडीएम अंकुर मेश्राम ने किया था।

आपको बता दें कि एक महीने के अंदर यह दूसरी घटना है जब पुलिस व समाजिक संगठन ने ऑपरेशन चलाकर 45 बच्चों को एक ही इलाके से बचाया है। इसके अलावा पिछले महीने 15 (अक्टूबर) को 45 बच्चों को  दिल्ली के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र वजीराबाद की खिलौने और स्टील पॉलिश करने वाली फैक्टरी से बचाया गया था।

समाजिक कार्यकर्ता स्वाति झा ने कहा, "करोल बाग के क्षेत्र घोड़े वाली गली में बच्चों से जबरदस्ती सुबह दस बजे से लेकर रात दस बजे तक फैक्टरी में मजदूरी करवाई जाती थी। खबर के मुताबिक, बच्चे एक छोटे से कमरे में काम करने को मजबूर थे। जिसमें बहुत गंदगी और कम रोशनी रहती थी और बच्चो को दोपहर के खाने के लिए करीब दो या तीन बजे एक ही बार बाहर जाने दिया जाता था।"

स्वाति ने आगे बताया कि ज्यादातर बच्चों को उनके काम के लिए समय पैसे भी नहीं दिए जाते थे। जबकि उनमें से कुछ बच्चों को आठ महीने काम कराकर महज दो हजार रुपये ही दिये जाते थे। पुलिस कार्रवाई में फैक्टरी के छह परिसर को सील कर दिया गया है और साथ ही फैक्टरी के दो मालिकों को पुलिस ने नजरबंद कर रखा हैं और उनके खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज  कर ली है। 

Web Title: 45 kids, mostly from Bihar, rescued from Karol Bagh units

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