#KuchhPositiveKarteHain: कभी भूखे पेट टेंट में सोया तो कभी बेचे गोल-गप्पे, अब भारतीय टीम में धमाल मचाने को तैयार है ये खिलाड़ी

#KuchhPositiveKarteHain: श्रीलंका दौरे पर जाने वाली अंडर-19 भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन के साथ टीम में ऑलराउंडर खिलाड़ी यशस्वी जायसवाल को भी चुना गया है।

By सुमित राय | Published: July 05, 2018 7:57 PM

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नई दिल्ली, 5 जुलाई। श्रीलंका दौरे पर जाने वाली अंडर-19 भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन के साथ टीम ऑलराउंडर खिलाड़ी यशस्वी जायसवाल को भी चुना गया है। लेकिन  यशस्वी जायसवाल का भारतीय टीम तक का सफर आसान नहीं रहा है। काफी मुश्किलों का सामना करने के बाद उनको टीम इंडिया में शामिल किया गया है। भारतीय टीम में पहुंचने के लिए यशस्वी को कभी भूखे पेट सोना पड़ा तो कभी उनको टेंट में रात गुजारनी पड़ी। यहीं नहीं यशस्वी को कई बार अपने खर्चे चलाने के लिए गोल-गप्पे भी बेचने पड़े।

यशस्वी उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं और उनके पिता वहीं एक छोटी सी दुकान चलाते हैं। यशस्वी महज 11 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने के लिए अपने चाचा के पास मुंबई आ गए और आजाद मैदान में मुस्लिम यूनाइटेड क्लब ज्वाइन कर ली।

यशस्वी इसके साथ ही काल्बादेवी डेयरी में काम भी करने लगे और वहीं रहने लगे। यशस्वी ने बताया कि पूरा दिन क्रिकेट खेलने के बाद मैं थक जाता था और सो जाता था। एक दिन उन्होंने मुझे ये कहकर वहां से निकाल दिया कि मैं सिर्फ सोता हूं और काम में उनकी कोई मदद नहीं करता।

मुंबई में यशस्वी के चाचा का घर इतना बड़ा नहीं था कि वो उसे साथ रख सकें। इसलिए उन्होंने मुस्लिम यूनाइटेड क्लब से अनुरोध किया कि वो यशस्वी को टेंट में रहने की इजाजत दें। इसके बाद अगले तीन साल तक यशस्वी आजाद मैदान के गार्ड के साथ टेंट में रहे।

परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उनके पिता कई बार कम पैसे भेजते थे। अपना खर्चा निकालने के लिए यशस्वी ने रामलीला के समय आजाद मैदान पर गोल-गप्पे भी बेचे, लेकिन इसके बावजूद कई बार रात को उन्हें भूखा भी सोना पड़ता था।

यशस्वी ने अपने संघर्ष के दिन याद करते हुए कहा कि आजाद मैदान में रामलीला के समय मेरी अच्छी कमाई हो जाती थी, लेकिन मैं यही दुआ करता था कि मेरी टीम के खिलाड़ी वहां ना आएं। हालांकि कई बार ऐसा होता था कि खिलाड़ी मुझे गोल-गप्पे बेचते देख लेते थे और मुझे बहुत शर्म आती थी।

यशस्वी ने कहा कि मैं हमेशा अपनी टीम के अन्य खिलाड़ियों को देखता था, वो घर से खाना लाते थे। लेकिन मुझे ये नसीब नहीं होता था और मुझे घर की बहुत याद आती थी। मैं दिन में इतना व्यस्त रहता था कि कब शाम हो जाती थी पता ही नहीं चलता था। लेकिन रात में परिवार की बहुत याद आती थी और कई बार मैं सारी रात रोता था।

टॅग्स :टीम इंडियाबीसीसीआईअर्जुन तेंदुलकरकुछ पॉजिटिव करते हैं

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