बीसीसीआई में 'एक राज्य एक वोट' आदेश पर सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार के लिए तैयार

करीब दो साल पहले 18 जुलाई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी की 'एक राज्य एक वोट' की अनुशंसा को स्वीकार किया था।

By विनीत कुमार | Published: May 1, 2018 04:58 PM2018-05-01T16:58:55+5:302018-05-01T17:07:09+5:30

supreme court agrees on reconsider bcci mandate one state one vote | बीसीसीआई में 'एक राज्य एक वोट' आदेश पर सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार के लिए तैयार

BCCI

googleNewsNext

नई दिल्ली, 1 मई: सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआई में 'एक राज्य एक वोट' आदेश पर दोबारा विचार के लिए तैयार हो गया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में जिन क्रिकेट सदस्यों ने एतिहासिक रोल निभाया है, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हुई सुनवाई में यह भी साफ किया कि बीसीसीआई के लिए तैयार हो रहे संविधान के नए मसौदे में हो सकता है कि चयनकर्ताओं की संख्या केवल तीन तक सीमित नहीं हो।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह चयनकर्ताओं की संख्या सीमित करने या इसके लिए किसी योग्यता जैसे उसका टेस्ट प्लेयर होना जरूरी है, को तय नही भी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार घरेलू क्रिकेट में अहम रोल निभा चुके पद्माकर शिवालकर और रजिंदर गोएल भले ही भारत की टेस्ट टीम के लिए कभी नहीं चुने गए लेकिन उनके पास लंबा अनुभव है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि जब बीसीसीआई की नियमावली और मसौदा फाइनल नहीं हो जाता, कोई भी राज्य संघ चुनाव नहीं करा सकता। बता दें कि अपने सातवें स्टेटस रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त की गई विनोद राय और डायना एडुलजी की दो सदस्यीय समिति ने कार्यकारी अध्यक्ष सीके खन्ना, कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को हटाकर चुनाव की अनुशंसा की थी। (और पढ़ें- ICC टेस्ट रैंकिंग: भारत अब भी टॉप पर, बांग्लादेश से पीछे वेस्टइंडीज पहली बार नौवें स्थान पर)

साथ ही सीओए ने सुप्रीम कोर्ट से नए संविधान के स्वीकार किए बगैर भी सलाना आम बैठक (एजीएम) कराने पर राय मांगी थी। सीओए ने लोढ़ा समिति के प्रस्तावों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा था, 'बोर्ड के पदाधिकारियों और उपाध्यक्ष का चुनाव हर साल एजीएम में होना चाहिए। चुने गए पदाधिकारी और उपाध्यक्ष तीन साल तक कार्यकाल संभालेंगे।'

गौरतलब है कि करीब दो साल पहले 18 जुलाई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी की 'एक राज्य एक वोट' की अनुशंसा को स्वीकार किया था और वोटिंग अधिकार के बिना बोर्ड की सदस्यता के विकल्प से इंकार किया था। साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र और गुजरात में तीन क्रिकेट संस्थाओं को रोटेशन के आधार पर पूर्ण सदस्यता का उपयोग करने को कहा था। हालांकि, तभी से कई राज्य क्रिकेट संघ इसका विरोध कर रहे हैं। (और पढ़ें- IPL 2018: चेन्नई सुपरकिंग्स बनी टी20 में 100 जीत दर्ज करने वाली दुनिया की दूसरी टीम)

Open in app