भारतीय क्रिकेट के महानतम कप्तानों में शुमार सौरव गांगुली ने 2008 में अपने आखिरी टेस्ट के उन लम्हों के बारे में जानकारी साझा की है जब कुछ ओवरों के लिए धोनी ने उन्हें कप्तानी सौंप दी थी। गांगुली ने अपनी आने वाली आत्मकथा 'अ सेंचुरी इज नॉट एनफ' में उस घटना की जानकारी दी है। गांगुली ने इसमें बताया है कि उस दिन धोनी ने उन्हें एक नहीं बल्कि दो बार कप्तानी करने का ऑफर दिया था लेकिन पहली बार गांगुली ने कप्तानी करने से मना कर दिया था। लेकिन जब दूसरी बार धोनी ने ये ऑफर दिया तो गांगुली मना नहीं कर पाए और अपने आखिरी टेस्ट में कुछ ओवरों के लिए भारत की कप्तानी की।
धोनी ने गांगुली के आखिरी टेस्ट में ऑफर की थी कप्तानी
2000 से 2005 तक भारत के कप्तान रहे सौरव गांगुली ने नवंबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर टेस्ट में अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था। भारत ने उस मैच में 172 रन से जोरदार जीत हासिल की थी। उस मैच में टीम इंडिया की कप्तानी कर रहे धोनी ने मैच के आखिरी दिन गांगुली को कप्तानी करने का ऑफर दिया था। गांगुली ने लिखा है, 'जैसे ही मैच अंत की ओर बढ़ा, महेंद्र सिंह धोनी ने हैरानी भरे संकेत से मुझे कप्तानी करने के लिए कहा। मैंने उनके इस ऑफर को दिन की शुरुआत में ही ठुकरा दिया था, लेकिन मैं दूसरी बार मना नहीं कर सका।' (पढ़ें: सौरव गांगुली ने दी सलाह, 'इस खास काम को सीखने के लिए कोहली के साथ डिनर पर जाएं रहाणे')
अपने आखिरी मैच में गांगुली ने ऑस्ट्रेलिया का नौवां विकेट गिरने के बाद धोनी के निवेदन पर कुछ ओवरों के लिए भारत की कप्तानी की। इस दौरान गांगुली ने फील्ड सजाई और गेंदबाजी में बदलाव किए। गांगुली ने लिखा है, 'विडंबना है कि मेरा कप्तानी का करियर आठ साल पहले ठीक उसी दिन शुरू हुआ था। जब ऑस्ट्रेलिया की आखिरी जोड़ी खेल रही थी तो उस दौरान मैं ने फील्ड सजाए और गेंदबाजी में बदलाव किए। लेकिन अब मैं स्वीकार करता हूं कि, मुझे फोकस करने में परेशानी हुई। इसलिए तीन ओवर के बाद मैंने इसे वापस धोनी को सौंपते हुए कहा, ये तुम्हारा काम है एमएस। हम दोनों मुस्कुरा दिए।'
अपने आखिरी मैच में शतक चूकने पर गांगुली ने निराशा जताई। अपने आखिरी टेस्ट की पहली पारी में गांगुली ने 85 रन की पारी खेली थी जबकि दूसरी पारी में जीरो पर आउट हो गए थे। हालांकि उस मैच में उन्होंने सचिन के शतक जड़ने पर गांगुली ने खुशी जताई। सचिन ने उस टेस्ट की पहली पारी में 109 रन बनाए थे।