Video Viral: चेन्नई सुपर किंग्स ने गुजरात टाइटन्स के खिलाफ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 के अपने आखिरी मैच की तैयारी की, वहीं एमएस धोनी के भविष्य को लेकर भी बहस छिड़ गई। प्री-मैच शो में पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना, संजय बांगर, आरपी सिंह और आकाश चोपड़ा ने चर्चा की कि क्या इस प्रतिष्ठित विकेटकीपर बल्लेबाज के लिए अपने जूते लटका देने का समय आ गया है।
आरपी और रैना इस धारणा के खिलाफ खड़े हुए, जबकि चोपड़ा और बांगर ने इसके पक्ष में बहस की। हालांकि, बहस एक गर्मागर्म मामले में बदल गई, जिसमें दोनों पक्षों की ओर से कुछ तीखी बहसें की गईं। धोनी इस साल सीएसके के लिए बल्लेबाजी करने में थोड़े अनिच्छुक दिखे, कभी-कभी तो वे नंबर 8 पर भी बल्लेबाजी करने लगे, रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों को अपने ऊपर तरजीह दी।
रैना और आरपी ने सुझाव दिया कि यह कदम दूसरों को पनपने का मौका देने के लिए उठाया गया था, वहीं चोपड़ा और बांगर ने धोनी की इतनी देर तक बल्लेबाजी करने की फिटनेस पर भी सवाल उठाए।
यहाँ बहस का एक हिस्सा है:
आकाश चोपड़ा: अगर एमएस धोनी अनकैप्ड भारतीय नहीं होते, तो क्या वे इस साल CSK टीम का हिस्सा होते?
सुरेश रैना: बिल्कुल, वे 18 साल से टीम के साथ हैं। अब भी, वे सबसे ज़्यादा छक्के लगाते हैं।
आकाश चोपड़ा: मुद्दा यह है कि वे नंबर 7, नंबर 8 या नंबर 9 पर क्यों बल्लेबाजी कर रहे हैं। आपकी टीम अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर रही है, समस्याएँ शीर्ष क्रम से आ रही हैं। क्या इतने बड़े खिलाड़ी को ऊपर बल्लेबाजी करनी चाहिए? अनिच्छा क्यों? क्या वे फिट भी हैं या नहीं?
सुरेश रैना: उन्हें लगता है कि वे अंतिम चार ओवरों में ज़्यादा सहज हैं। वे 44 साल की उम्र में भी विकेटकीपिंग करते हुए फ़िट हैं। उन्होंने बीच में एक इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि विश्व कप (टी20) के लिए टीम बनाई जा रही है, इसलिए वे शिवम दुबे जैसे अन्य खिलाड़ियों को ज़्यादा मौके देना चाहते हैं।
आरपी सिंह: घुटने की सर्जरी के बाद, उन्हें समय तो लगेगा ही। हर खिलाड़ी को समय लगता है। वे 20 साल से विकेटकीपिंग कर रहे हैं, खुद को संभालते हैं। रैना का भी घुटने का ऑपरेशन हुआ था। उन्होंने कुछ समय तक खुद को संभाला और आखिरकार ठीक हो गए।
बातचीत में आगे बांगर ने इस बात पर भी जोर दिया कि टीम में धोनी की मौजूदगी रुतुराज गायकवाड़ और रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों को नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरने का मौका नहीं दे रही है।