मुरलीधरन ने ऑफ स्पिनर के रूप में झटके 800 टेस्ट विकेट, पर किया खुलासा, 'सोचा था लेग स्पिनर बन जाऊंगा'

Muttiah Muralitharan: महान श्रीलंकाई स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने खुलासा किया है कि वह सोचते थे कि लेग स्पिनर जाऊंगा, क्योंकि जीवन में प्लान बी होना जरूरी है

By अभिषेक पाण्डेय | Published: June 12, 2020 10:21 AM2020-06-12T10:21:18+5:302020-06-12T10:21:59+5:30

Muttiah Muralitharan reveals ‘Thought I’d bowl leg spin’ | मुरलीधरन ने ऑफ स्पिनर के रूप में झटके 800 टेस्ट विकेट, पर किया खुलासा, 'सोचा था लेग स्पिनर बन जाऊंगा'

मुथैया मुरलीधरन के नाम टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक 800 विकेट लेने का रिकॉड दर्ज है

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Highlightsमुरलीधरन ने कहा कि वह अपने ऐक्शन पर सवाल उठने पर लेग स्पिनर बनने को भी तैयार थेमुरलीधरन ने कहा कि जीवन हो या खेल, दोनों में इंसान के पास प्लान बी होना जरूरी

पूर्व श्रीलंकाई स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने खेल में बैक-अप प्लान रखने के महत्व पर जोर दिया है। अपना खुद का उदाहरण देते हुए मुरलीधरन ने खुलासा किया कि बड़े होने के दौरान उन्हें ये पता था कि उनका गेंदबाजी ऐक्शन उन्हें मुश्किल में डाल सकता है, इसलिए इस स्पिनर ने अपने पास प्लान बी तैयार रखने के लिए कलाई से स्पिन का भी अभ्यास किया था।

एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक. मुरलीधरन ने स्टार स्पोर्ट्स के शो एमफोर में कहा, 'मैं जब युवा था तो मैं लेग स्पिन भी किया करता था, तो मैंने सोचा कि अगर मेरे ऐक्शन का टेस्ट होता है और फिर ये काम नहीं करता है तो मैं लेग स्पिनर बन जाऊंगा।'

मुरलीधरन ने बताया, 'जीवन में प्लान बी होना जरूरी'

मुरलीधरन ने कहा, 'हर चीज के लिए, यहां तक कि जब आप क्रिकेट खेलें तो आपके पास प्लान ए और प्लान बी होना चाहिए। आप एक प्लान के साथ चिपक कर नहीं रह सकते। यही हर खेल के साथ है। किसी दिन आप अपने जीवन या खेल में असफलता का सामना कर सकते हैं, असफलता निश्चित है, आपको इसके बारे में सोचना होगा और इसे सकारात्मक तरीके से लेना होगा ये कहते हुए कि कल एक और दिन है।'

अपने करियर के दौरान मुरलीधरन कई बार विवादों में घिर। ऑस्ट्रेलियाई अंपायर रॉस एमरसन ने ऑस्ट्रेलिया में 1998-99 में एक ट्राई सीरीज के दौरान मुरलीधरन की गेंदों को लगातार नो बॉल करार दिया था। उनके करियर के दौरान कई बार उनके ऐक्शन की जांच हुई और इसमें सुधार किया गया। ऐसी घटना किसी के भी दिमाग पर असर डाल सकती है, मुरलीधरन ने इस घटना के अपने दिमाग पर हुए असर के बारे में बताया।

मुरलीधरन ने कहा, 'किसी भी खेल में, 90 फीसदी काम चतुराई और मानसिक रूप से फिट होना है। तभी आप खेल सकते हैं। जब आप युवा होते हैं, तो आप अपनी रुचि और खेल के प्रति प्यार के कारण तुरंत नहीं सोचते (मानसिक रूप से फिट होने के बारे में) हैं। स्वचालित रूप से, बिना बताए, आप सोचेंगे कि क्या करना है और कर देंगे।'

उन्होंने कहा, 'लेकिन जब आप पेशेवर स्तर पर पहुंच जाते हैं, तो दबाव के कारण यह पूरी तरह से एक मानसिक खेल बन जाता है। बहुत से क्रिकेटर जिनके पास अच्छी तकनीक है लेकिन इस दबाव से निपट नहीं पाए, असफल हो गए। इसलिए, मानसिक पहलू सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बल्कि किसी भी खेल में अधिक महत्वपूर्ण है।'

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