इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने गुरुवार को 'कन्कशन सब्स्टीट्यूट' (सिर में चोट के कारण बेहोशी की स्थिति में स्थानापन्न) खिलाड़ी की इंटरनेशनल क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट्स में प्रयोग की मंजूरी दे दी।
आईसीसी का ये नया नियम महिला और पुरुष दोनों क्रिकेट में खेल के तीनों फॉर्मेट टेस्ट, वनडे और टी20 में लागू होगा, जिसका शुरुआत 1 अगस्त से हो रही है।
फिल ह्यूज की मौत के बाद शुरू हुई थी इस नियम को लागू करने की मांग
खेल में बदलाव लाने वाला ये निर्णय गुरुवार को लंदन में आईसीसी सालाना बैठक के दौरान लिया गया। आईसीसी ने इस फैसलो को घरेलू क्रिकेट में दो साल तक 'कन्कशन सब्सीट्यूट' का ट्रायल किए जाने के बाद मंजूरी दी है।
'कन्कशन सब्सीट्यूट' का नियम 1 अगस्त से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच शुरू होन जा रही एशेज टेस्ट सीरीज से लागू होगा।
आईसीसी ने अपने बयान में कहा है, 'रिप्लेसमेंट का फैसला मेडिकल प्रतिनिधि द्वारा किया जाना जारी रहेगा और वह खिलाड़ी उसी स्तर का होना चाहिए, जिसके लिए मैच रेफरी की अनुमति जरूरी होगी।'
सिर में चोट लगने पर खिलाड़ी के बेहोश होने की स्थिति में उसका स्थानापन्न खिलाए जाने की मांग नंवबर 2014 में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाड फिल ह्यूज की बाउंसर लगने से मौत के बाद से की जा रही है।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने 2016-17 सीजन से अपने घरेलू सीजन और बिग बैश लीग में इस नियम को आजमाना शुरू किया था। आईसीसी ने इस नियम के लिए ट्रायल 2017 में ऑस्ट्रेलिया की शेफील्ड शील्ड में इसके प्रयोग की अनुमति देने के साथ शुरू किया था।
आईसीसी ने किया स्लो ओवर रेट नियम में बदलाव
आईसीसी ने साथ ही स्लो ओवर के नियमों में भी बदलाव किया है। अब स्लो ओवर रेट के बार-बार या गंभीर अपराध के मामले में कप्तान को सस्पेंड नहीं किया जाएगा।
आईसीसी का मानना है कि स्लो ओवर रेट के लिए सभी खिलाड़ियों को बराबर का जिम्मेदार माना चाहिए, और सभी पर कप्तान के बराबर ही जुर्माना लगाया जाएगा।
वहीं वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में अगर कोई टीम मैच के अंत में आवश्यक ओवर रेट से पीछे रहती है तो उसने तय समय में जितने ओवर कम फेंके होंगे उसके हिसाब से प्रति ओवर दो प्रतियोगिता अंक काटे जाएंगे।