पिंक बॉल से गेंदबाजी करने में क्या होगी बॉलर्स के सामने चुनौती, अश्विन ने किया खुलासा

अश्विन ने कहा कि मैंने गुलाबी गेंद से एक भी गेंद नहीं की है। निश्चित तौर पर मैंने इसे देखा है। कभी कभी मैं समझ नहीं पाता हूं कि यह गुलाबी है या नारंगी।

By भाषा | Published: November 15, 2019 12:58 PM2019-11-15T12:58:29+5:302019-11-15T12:58:29+5:30

Challenge to play with the pink ball, says Ravichandran Ashwin | पिंक बॉल से गेंदबाजी करने में क्या होगी बॉलर्स के सामने चुनौती, अश्विन ने किया खुलासा

पिंक बॉल से गेंदबाजी करने में क्या होगी बॉलर्स के सामने चुनौती, अश्विन ने किया खुलासा

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Highlightsरविचंद्रन अश्विन ने कहा कि गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच स्वागतयोग्य कदम है।अश्विन ने कहा कि निश्चित तौर पर गुलाबी गेंद से खेलना चुनौती है।

रविचंद्रन अश्विन ने दिन रात्रि टेस्ट को ‘सही दिशा में आगे बढ़ना’ करार देते हुए कप्तान विराट कोहली के लंबी अवधि के प्रारूप के लिए पांच स्थायी केंद्रों के विचार का समर्थन किया। अश्विन से गुलाबी गेंद से खेले जाने वाले टेस्ट के बारे में सवाल किया गया और पूछा गया कि क्या वह इस बदलाव को खुले दिल से स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।

अश्विन ने बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच के शुरुआती दिन का खेल समाप्त होने के बाद कहा, ‘‘गुलाबी गेंद से टेस्ट मैच स्वागतयोग्य कदम है। भारत टेस्ट खेलने वाला देश है और हमारे लिए यह जरूरी है कि हम दिन रात्रि टेस्ट मैच में खेलें। नौकरी पर जाने वाले लोग जो पहले टेस्ट मैच नहीं देख पाते थे अब ऐसा कर सकते हैं। ’’ लेकिन इसमें चुनौतियां भी होंगी जैसे कि गेंद पर रंग की अतिरिक्त परत से धीमी गति के गेंदबाजों के लिए मुश्किल होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर गुलाबी गेंद से खेलना चुनौती है। इस गेंद पर अधिक रोगन होता है। निजी तौर पर मेरा मानना है कि हमने यह कदम सही दिशा में उठाया और उम्मीद है कि टेस्ट मैच ऐतिहासिक पल होगा और यह कई अन्य मैचों की शुरुआत होगी।’’

अश्विन ने कहा, ‘‘मैं कभी गुलाबी गेंद से नहीं खेला। मैं कुछ साल पहले दलीप ट्रॉफी में नहीं खेला था, जिसमें गुलाबी गेंद का उपयोग हुआ था। मैंने गुलाबी गेंद से एक भी गेंद नहीं की है। निश्चित तौर पर मैंने इसे देखा है। कभी कभी मैं समझ नहीं पाता हूं कि यह गुलाबी है या नारंगी। अभी मुझे इसे समझना है।’’

स्थायी टेस्ट केंद्रों के बारे में अश्विन ने कहा, ‘‘टेस्ट खेलने वाले प्रत्येक देश का आमतौर पर टेस्ट क्रिकेट खेलने का एक निश्चित प्रारूप होता है। वे जानते हैं कि मैच स्थल कैसे होंगे और पिचों का व्यवहार कैसा होगा और मैच आगे कैसे बढ़ेगा। विश्व के अधिकतर भागों टेस्ट क्रिकेट लगातार ऐसा ही खेला जा रहा है। यहां तक कि भारत में भी यह कोई अपवाद नहीं है।’’

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