भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को RTI के दायरे में लाने की सिफारिश पर BCCI ने दिया यह बयान

लॉ कमिशन ने बुधवार को बड़ी पहल करते हुए केंद्र सरकार को बीसीसीआई को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने की सिफारिश की थी।

By सुमित राय | Published: April 18, 2018 10:40 PM2018-04-18T22:40:59+5:302018-04-18T22:40:59+5:30

BCCI Statement on Law Commission recommendation to bring BCCI under RTI Act | भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को RTI के दायरे में लाने की सिफारिश पर BCCI ने दिया यह बयान

BCCI Statement on Law Commission recommendation to bring BCCI under RTI Act

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नई दिल्ली, 18 अप्रैल। बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारी विधि आयोग की देश की इस सबसे धनाढ्य संस्था को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत लाने की सिफारिशों को लेकर परेशान नहीं हैं। लॉ कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बीसीसीआई लोक प्राधिकार की परिभाषा में आता है और इसे सरकार से अच्छा खासा वित्तीय लाभ मिलता है।

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि इस मामले में बीसीसीआई की कोई भूमिका नहीं है। यह विधि आयोग की सिफारिशें हैं और हम सरकार के फैसले का इंतजार करेंगे। जहां तक हमारी जानकारी है तो जब तक सरकार इस पर फैसला नहीं करती तब तक विधि आयोग की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं हैं। इसलिए देखते हैं कि आगे क्या होता है।

बता दें कि लॉ कमिशन ने बुधवार को बड़ी पहल करते हुए केंद्र सरकार को बीसीसीआई को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने की सिफारिश की थी। कानून मंत्रालय को दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर देश के सभी राष्ट्रीय खेल संघ आरटीआई में आते हैं तो बीसीसीआई क्यों नहीं शामिल किया जा सकता। दरअसल, प्राइवेट बॉडी होने के कारण बीसीसीआई अब तक आरटीआई से बाहर है। यही नहीं, बोर्ड कई बार इसी की दलील देते हुए आरटीआई में खुद को शामिल कराये जाने की हुई कोशिशों से बचता रहा है। बता दें कि दुनिया की सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई फिलहाल तमिलनाडु सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत प्राइवेट बॉडी की तरह खुद को प्रस्तुत करती है।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को भेजी रिपोर्ट में लॉ कमिशन ने कहा है, 'आरटीआई को बीसीसीआई सहित उसके सभी सदस्य क्रिकेट संघों पर लागू किया जा सकता है, क्योंकि वे बीसीसीआई की मानकों पर खड़ा उतरते हैं।'


साथ ही आयोग ने ये भी कहा है कि बीसीसीआई किसी स्टेट जैसी पावर का इस्तेमाल करती रही है जिसने खेल को काफी प्रभावित भी किया है। इसलिए, बीसीसीआई को संविधान के आर्टिकल-12 के तहत किसी एजेंसी या राज्य के साधन के तौर पर देखा जाना चाहिए। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है, 'अपरोक्ष रूप से बीसीसीआई राष्ट्रीय खेल संघ (एनएसएफ) की तरह काम करती रही है और केंद्र सरकार भी उसे ऐसा ही मानने लगी है। ऐसे में बिना किसी शंका के उसे मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद एनएसएफ की लिस्ट में शामिल करना चाहिए।'

बहरहाल, अगर सरकार लॉ कमिशन के सुझाव मान लेती है और बीसीसीआई को पब्लिक बॉडी का दर्जा देती है तो बोर्ड को आरटीआई के दायरे में आना होगा। गौरतलब है कि जुलाई-2016 में एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को आरटीआई एक्ट में लाने के लिए कमिशन से कानूनी ढांचे की जांच और इस पर गौर करने को कहा था। (एजेंसी से इनपुट)

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