यूसुफ पठान के डोप टेस्ट में फेल होने के मामले में सवालों के घेरे में क्यों आई BCCI

बीसीसीआई ने यूसुफ पठान की निलंबन तारीख खत्म होने से पांच दिन पहले डोप में फेल होने की जानकारी सार्वजनिक की

By अभिषेक पाण्डेय | Published: January 9, 2018 04:58 PM2018-01-09T16:58:20+5:302018-01-09T17:20:48+5:30

BCCI Role is under criticism in Yusuf Pathan doping violation case | यूसुफ पठान के डोप टेस्ट में फेल होने के मामले में सवालों के घेरे में क्यों आई BCCI

यूसुफ पठान डोप टेस्ट

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स्टार क्रिकेटर यूसुफ पठान को डोप टेस्ट में फेल होने के बाद बीसीसीआई द्वारा पांच महीने के लिए सस्पेंड किया गया है। लेकिन बीसीसीआई द्वारा यूसुफ पर लगाए गए इस प्रतिबंध को लेकर सवाल उठने लगे हैं और कहा जा रहा है कि बीसीसीआई ने इस मामले में जानबूझकर ढिलाई बरती और लीपापोती करने की कोशिश की। 

अब इसे इत्तेफाक कहें या बीसीसीआई की सोची-समझी रणनीति कि पठान के पांच महीने के निलंबन की खबर उनका निलंबन खत्म होने से महज 5 दिन पहले ही सार्वजनिक हुई है। पठान के निलंबन की अवधि 14 जनवरी 2018 को समाप्त हो रही है, जिसका मतलब ये भी है कि वह आईपीएल नीलामी के लिए उपलब्ध रहेंगे।

पिछले पांच महीनों के दौरान किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि यूसुफ पठान डोप टेस्ट में फेल होने की वजह से सस्पेंड हो गए हैं। साथ ही बीसीसीआई ने महीनों यूसुफ के डोप टेस्ट में फेल होने की बात दबाए रखी और इसे तब उजागर किया जब मामला पूरी तरह खत्म हो चुका था। अगर यूसुफ के डोप टेस्ट के लिए सैंपल देने से लेकर बीसीसीआई द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने तक के घटनाक्रम पर नजर दौड़ाए तो आपको खुद पता चल जाएगा कि दुनिया की सबसे धनी खेल संस्थाओं में शुमार बीसीसीआई इस मामले से किस कदर निपटी है। 

बीसीसीआई ने जानबूझकर यूसुफ के डोप टेस्ट में फेल होने की खबर दबाए रखी!
बीसीसीआई के मुताबिक, 'सभी परिस्थितियों में, पांच महीने की अपात्रता की शुरुआत 15 अगस्त 2017 से मानी जाएगी जोकि 14 जनवरी 2018 की आधी रात तक जारी रहेगी।'   

अब आप देखिए बीसीसीआई इस पूरे मामले से कैसे निपटी है। यूसुफ पठान का यूरिन सैंपल 16 मार्च 2017 को बड़ौदा और तमिलनाडु के बीच नई दिल्ली में हुए एक घरेलू टूर्नामेंट के दौरान लिया गया था। 12 अप्रैल को बीसीसीआई के पास यूसुफ पठान के यूरिन में प्रतिबंधित टरब्यूटालीन (Terbutaline) पदार्थ पाए जाने की रिपोर्ट आ गई थी। लेकिन बीसीसीआई ने बड़ौदा को यूसुफ को रणजी में न चुने जाने का निर्देश 27 अक्टूबर को तब जारी किया जब वह पहले ही दो मैच खेल चुके थे। इतना ही नहीं इससे पहले पठान मई के अंत तक आईपीएल में कोलकाता नाइटराइडर्स के लिए भी खेलते रहे।

अब सवाल ये कि आखिर क्यों बीसीसीआई ने अप्रैल में ही डोप टेस्ट रिपोर्ट आ जाने के बाद यूसुफ को आईपीएल में आईपीएल और फिर रणजी का एक मैच खेलने दिया? बीसीसीआई ने अगर बैन की अवधि 15 अगस्त से तय कर दी थी तो बड़ौदा को रणजी टीम में पठान को न चुनने का निर्देश 27 अक्टूबर को दिया? सबसे बड़ी बात ये कि इस बात को बीसीसीआई ने सबसे छिपाए क्यों रखा और निलंबन की अवधि पूरे होने के 5 दिन पहले ही क्यों सार्वजनिक किया? 

इन घटनाक्रमों को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि बीसीसीआई यूसुफ को गलती की सजा देने के बजाय दिखावा करने और खानापूर्ति की कोशिश कर रहा था। वर्ना सस्पेंशन खत्म होने की तारीख आईपीएल नीलामी से ठीक 15 दिन पहले चुनना महज इत्तेफाक तो नहीं हो सकता है!

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