History of Ashes Series: ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड के बीच क्यों खेली जाती है एशेज सीरीज, जानें कैसे पड़ा इसका नाम

एक अगस्त से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच शुरू हो रही पांच मैचों की एशेज टेस्ट सीरीज से पहले हम बता रहे हैं इसका इतिहास...

By सुमित राय | Published: July 31, 2019 05:59 PM2019-07-31T17:59:18+5:302019-07-31T17:59:18+5:30

Ashes Test Series 2019, England vs Australia: All you need to know about cricket's oldest rivalry | History of Ashes Series: ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड के बीच क्यों खेली जाती है एशेज सीरीज, जानें कैसे पड़ा इसका नाम

History of Ashes Series: ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड के बीच क्यों खेली जाती है एशेज सीरीज, जानें कैसे पड़ा इसका नाम

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Highlightsइंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1 अगस्त से एशेज टेस्ट सीरीज शुरू होने जा रही है।इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहली बार टेस्ट सीरीज साल 1877 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेली गई थी।क्या आपको पता है इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली इस सीरीज का नाम एशेज कैसे पड़ा?

इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1 अगस्त से क्रिकेट इतिहास के सबसे पुरानी सीरीज एशेज टेस्ट सीरीज शुरू होने जा रही है। इस बार एशेज का आयोजन इंग्लैंड में किया जा रहा है और सीरीज में पांच टेस्ट मैच खेले जाएंगे। सीरीज का आखिरी टेस्ट मैच 16 सितंबर से शुरू होगा। सीरीज शुरू होने से पहले हम आपको बता रहे हैं इसका इतिहास।

क्या है एशेज टेस्ट सीरीज का इतिहास ?

इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहली बार टेस्ट सीरीज साल 1877 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेली गई थी। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच साल 1882 में लंदन के केनिंग्टन ओवल के मैदान पर टेस्ट मैच खेला गया, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को सात रन से हरा दिया। इंग्लिश सरजमीं पर कंगारुओं की यह पहली जीत थी।

एशेज टेस्ट सीरीज कैसे पड़ा नाम ?

इंग्लैंड की हार के बाद ब्रिटिश अखबर स्पोर्टिंग टाइम्स के पत्रकार शिर्ले ब्रूक्स ने इस खबर को इस हेडिंग से छापा थी कि, 'शोक समाचार, इंग्लिश क्रिकेट को याद करते हुए इतना ही कहना चाहूंगा कि 29 अगस्त 1882 को ओवल ग्राउंड में इसकी मौत हो गई है। इसे चाहने वाले दुख में हैं। इंग्लिश क्रिकेट मर गया, उसके अंतिम संस्कार के बाद ऐश (राख) ऑस्ट्रेलिया भेज दी जाएगी।'

इंग्लैंड में क्रिकेट की मौत वाली हेडलाइन से नाम निकला एशेज, जो आज दुनिया में छाया है। जब इस हार के बाद उसी साल इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई और 2-1 से सीरीज को अपने नाम किया, तब इस जीत को इंग्लैंड में ऐश (राख) वापस लाने के रूप में बताया गया। यहीं से दोनों देशों के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज को एशेज कहा जाने लगा।

एशेज सीरीज की ट्रॉफी क्यों है इतनी छोटी ?

घर में मिली हार का बदला इंग्लिश टीम ने इवो ब्लीग की अगुआई में लिया था। क्रिसमस से एक दिन पहले शाम को उन्होंने मेलबर्न के बाहर एक प्रदर्शनी मैच खेला। वहां उन्हें ऑस्ट्रेलिया में एशेज जीतने के प्रतीक के रूप में एक महिला ग्रुप ने कलश दिया था। इसी जगह वह फ्लोरेंस मर्फी से पहली बार मिले थे, जिससे उन्होंने 1884 में शादी की।

शादी के बाद दोनों कलश के साथ जल्द ही इंग्लैंड लौट आए। इसके 43 साल बाद ब्लीग की मृत्यु हो गई, लेकिन दुनिया छोड़ने से पहले उन्होंने कलश को मेलबर्न क्रिकेट क्लब को देने की इच्छा जताई थी। उनकी पत्नी फ्लोरेंस ने ऐसा ही किया। इसके बाद से ही इस कलश को एशेज ट्रॉफी के रूप में मान्यता दी गई। वह कलश एमसीसी के म्यूजियम में रखा गया, उसकी प्रतिकृति को एशेज सीरीज के दौरान ट्रॉफी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

कब किया किसने ट्रॉफी पर कब्जा ?

साल 1882 में शुरू हुई इस टेस्ट सीरीज के 137 साल लंबे इतिहास में अब तक 70 एशेज टेस्ट सीरीज खेली जा चुकी है, जिसमें से ऑस्ट्रेलिया ने 33 टेस्ट सीरीज पर कब्जा किया है और इंग्लैंड ने 32 टेस्ट सीरीज जीती हैं, जबकि पांच टेस्ट सीरीज ड्रॉ रही हैं। दोनों टीमों के बीच एशेज सीरीज के दौरान कुल 330 मैच खेले गए हैं, जिनमें से ऑस्ट्रेलिया ने 134 मैच जीते हैं और 106 मैचों में इंग्लैंड की टीम ने जीत हासिल की है, जबकि दोनों टीमों के बीच 90 मैच ड्रॉ हुए हैं।

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