बढ़ते ऋण के कारण लिस्टेड एंटिटीज में बंट सकती हैं वेदांता लिमिटेड की पैरेंट कंपनियां: सूत्र
By आकाश चौरसिया | Published: September 28, 2023 01:25 PM2023-09-28T13:25:04+5:302023-09-28T13:29:31+5:30
वेंदाता लिमिटेड ने अपनी पैरेंट कंपनियों को शेयर बाजार में अलग-अलग सूचीबद्ध करने के लिए सौदे के करीब है। कंपनी में हो रहे बदलावों को शेयरधारकों को बता चुकी है। मूडीज ने अगले कुछ महीनों में कंपनी ऋण के बढ़ते जोखिम के कारण वेदांता रिसोर्सेज की रेटिंग घटा दी है।
नई दिल्ली: बिजनेस टाइकून अनिल अग्रवाल की कंपनी वेंदाता लिमिटेड ने अपनी पैरेंट कंपनियों को शेयर बाजार में अलग-अलग सूचीबद्ध करने के लिए सौदे कियाहुआ है जो अपने अंजाम तक पहुंचने के करीब है। कंपनी में हो रहे बदलावों को शेयरधारकों में बता चुकी है। यह बात ब्लूमबर्ग न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट की मानें तो वेदांता बिजनेस ने एल्मुनियम, ऑयल, स्टील, लोहे और गैस के बिजनेस को लिस्टेड एंटिटीज में बांटने के सौदे के पास है। इस कदम से अग्रवाल को मार्केट में अपने बढ़े ऋण को कम करने में मदद मिल सकती है। बता दें कि यह ऋण उनकी कई कंपनियों में काफी ज्यादा है।
सूत्रों की मानें तो वेदांता लिमिटेड की सबसे पुरानी कंपनी वेदांता रिसोर्सेज होल्डिंग कंपनी बनी रहेगी। हालांकि, कंपनी में विचार हो रहा है लेकिन डी-मर्जर की बात पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
वहीं बिजनेसमैन अनिल अग्रवाल ने इस सौदे पर पिछले महीने कहा था कि कंपनी अपने सभी या कुछ कारोबार को अलग से शेयर मार्केट में सूचीबद्ध करने पर सोच रही है। कंपनी के ये बिजनेस धातु और खनन से लेकर तेल और गैस तक फैले हुए हैं।
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस द्वारा कंपनी वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड की रेटिंग घटाने के बाद कल वेदांता लिमिटेड के शेयरों में लगभग 7% की गिरावट आई। मूडीज ने अगले कुछ महीनों में ऋण एकीकरण के बढ़ते जोखिम के कारण वेदांता रिसोर्सेज की रेटिंग घटा दी है।
रेटिंग एजेंसी ने VRL की रेटिंग Caa1 से घटाकर Caa2 कर दी है। मूडीज़ ने वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड की रेटिंग सीएए 1 से सीएए 2 कर दी है। एजेंसी की मानें तो अभी भी यह उसी पोजिशन पर बनी हुई है। वेदांता लिमिटेड के शेयरों में पिछले 12 महीनों में पांचवी बार गिरावट देखी गई है जिसके कारण कंपनी का बाजार मूल्य लगभग 77 हजार 670 करोड़ रुपये हो गई है।
एजेंसी के मुताबिक,वैश्विक पूंजी बाजार में फाइनेंसियल स्थिति सख्त होने के बीच कंपनी के बढ़ते ब्याज खर्चे और री-फाइनेंशिंग के कारण क्रेडिट गुणवत्ता में गिरावट आई जिससे मार्केट में कंपनी की तरलता को भी झटका लगा है।
इस साल की शुरुआत में अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता लिमिटेड की पेरेंट कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की कुछ परिसंपत्ति को 2.98 बिलियन डॉलर की डील की थी जिसमें 7.7 बिलियन के कर्ज को कम करने की कोशिश की गई थी। इस डील पर केंद्र सरकार ने विरोध भी जताया था क्योंकि कंपनी में 30 प्रतिशत शेयर सरकार के भी हैं।