लखनऊः बीते वित्तीय वर्ष में कार और दोपहिया वाहनों की बिक्री में रिकॉर्ड बनाने वाली योगी सरकार अब वाहन डीलरों के खिलाफ सख्त हो गई है. सरकार की मंशा है कि वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए कार और दुपहिया वाहन बेचने वाले डीलर सरकार के नियमों की अनदेखी ना करे. इस बारे में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने एक डीलर मीट के दौरान स्पष्ट रूप से सरकार की इस मंशा को बताया था. उन्होने कहा था कि हर डीलर वाहन का पंजीकरण कराने के बाद ही खरीददार को वाहन सुपुर्द करे. इसके साथ ही हर वाहन की बिक्री का डाटा इस जनवरी से शुरू हुए वाहन पोर्टल पर दर्ज किया जाए.
प्रदेश सरकार के इस निर्देश का सूबे के 51 डीलरों ने उल्लंघन किया. इसके जानकारी होने पर परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने इन 51 डीलरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया. इन सभी डीलरों से 14 दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा गया है. कहा गया है कि तय समय में जवाब ना दाखिल किए जाने पर उनके ट्रेड सर्टिफिकेट के निलंबन अथवा निरस्तीकरण की विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी.
डीलरों के इन नियमों की अनदेखी की
प्रदेश सरकार के इस सख्त रुख से सूबे के वाहन डीलर हतप्रभ हैं. अभी तक यह वाहन डीलर राज्य में बीते साल 4.43 लाख कारों और 26.81 लाख दोपहिया वाहनों की बिक्री के आंकड़ों को लेकर खासे उत्साहित थे. इसी उत्साह से वह कारों और दुपहिया वाहनों के साथ थ्री व्हीलर बेचने में जुटे थे. इस धुन में वाहनों की बिक्री के लिए सरकार के बनाए नियमों की भी तमाम डीलर अनदेखी कर रहे थे.
जबकि प्रदेश सरकार ने राज्य में बिकने वाले हर वाहन के पंजीकरण की एक व्यवस्था बनाई हुई है. इस व्यवस्था के तहत हर वाहन का परिवहन विभाग में पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) कराने के बाद ही उसे खरीददार को देने का नियम है. बिना रजिस्ट्रेशन कराए वाहन खरीददार को देने की मनाही है.
इसके अलावा परिवहन विभाग के वाहन पोर्टल पर कार, स्कूटर, मोटरसाइकिल और थ्री व्हीलर वाहन की बिक्री का डाटा लोड करने का निर्देश डीलरों को दिया गया है. परिवहन आयुक्त इस साल बेचे गए वाहनों की बिक्री आंकड़ों की जांच से यह पारा चला कि सूबे के कई कई डीलरों द्वारा बिना पंजीकरण वाहन स्वामियों को वाहन सुपुर्द किए गए.
इसके अलावा वाहनों की बिक्री के आवश्यक दस्तावेज अपूर्ण या अपठनीय रूप में पोर्टल पर अपलोड किए गए और विभागीय निर्देशों की अनदेखी की गई. यही नहीं एआरटीओ कार्यालय स्तर पर फाइलों की उचित निगरानी नहीं की गई, जिसके कारण पंजीकरण फाइलें लंबित रहीं.
51 डीलरों और 28 अफसरों को नोटिस
वाहन विक्रेता डीलरों की इन लापरवाहियों के आधार पर 51 डीलरों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गया है. इन डीलरों में लखनऊ में लग्जरी कारें बेचने वाले एक प्रमुख डीलर भी शामिल हैं. फिलहाल सभी डीलरों से 14 दिनों में अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है. इसके साथ ही इस मामले में कई जिलों के परिवहन कार्यालयों की प्रशासनिक उदासीनता भी उजागर हुई है.
कई स्थानों पर एआरटीओ स्तर पर पंजीकरण फाइलों की लंबितता, त्रुटिपूर्ण फाइलों की स्वीकृति अथवा अनुपालन की समीक्षा न करना सामने आया है. जिसके चलते 28 सहायक संभागीय परिवहन अफसरों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं. परिवहन आयुक्त का कहना है कि सरकार की मंशा के अनुरूप नागरिकों को समयबद्ध और निर्बाध सेवा देना है.
सभी को नियमों के अधीन इस दायित्व को निभाना है, इस मामले में किसी भी स्तर पर लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषी व्यक्तियों अथवा संस्थाओं के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. चूंकि वाहनों के पंजीकरण से संबंधित सेवाएं आम नागरिकों से सीधे जुड़ी हैं और इसमें किसी प्रकार की लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी. इस मामले में डीलर और विभागीय अफसरों ने सरकार के नियमों की अनदेखी की है, इसके कारण 51 डीलरों और 24 अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है.