उत्तर प्रदेशः खाद्य पदार्थों में मिलावट सामाजिक अपराध घोषित?, सीएम योगी बोले-मिलावट करने वालों की चौराहों पर लगेंगी तस्वीर

By राजेंद्र कुमार | Updated: May 14, 2025 14:50 IST2025-05-14T14:49:19+5:302025-05-14T14:50:04+5:30

Uttar Pradesh: सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’नीति के तहत मिलावटखोरों, नकली दवाओं के कारोबारियों के नेटवर्क को अभियान चलाकर ध्वस्त किया जाएगा.

Uttar Pradesh Food adulteration declared social crime CM Yogi said adulterators photos put up intersections help police network selling fake medicines destroyed state | उत्तर प्रदेशः खाद्य पदार्थों में मिलावट सामाजिक अपराध घोषित?, सीएम योगी बोले-मिलावट करने वालों की चौराहों पर लगेंगी तस्वीर

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Highlightsपहचान सके और समाज में उनके प्रति नकारात्मक संदेश जाए. तेल, घी, मसाले, दूध, पनीर, ब्रेड जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं की जांच की जाए.खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुए यह निर्देश दिया है.

लखनऊः सख्त फैसले लेने को लेकर देश में चर्चित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को एक और सख्त फैसला लिया है. जिसके चलते उत्तर प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली दवाओं के कारोबार को ‘सामाजिक अपराध’घोषित किया गया. सीएम योगी का कहना है कि नकली दवाओं और मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय है. इस अनैतिक कारोबार पर रोक लगाने में किसी भी प्रकार का समझौता अक्षम्य है. राज्य सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’नीति के तहत मिलावटखोरों, नकली दवाओं के कारोबारियों के नेटवर्क को अभियान चलाकर ध्वस्त किया जाएगा.

यही नहीं राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थों और नकली दवाओं की बिक्री करते हुए पकड़े गए लोगों को सार्वजनिक रूप से चिन्हित कर उनकी तस्वीरें प्रमुख चौराहों पर लगाई जाएगी. ताकि जनता भी उन्हें पहचान सके और समाज में उनके प्रति नकारात्मक संदेश जाए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर बुधवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुए यह निर्देश दिया है. इस बैठक में कहा गया कि प्रदेश भर में तेल, घी, मसाले, दूध, पनीर, ब्रेड जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं की जांच की जाए.

इन सभी उत्पादों की बिक्री और इनकी उत्पादक इकाई पर भी चेकिंग की जाए. यहीं नहीं दूध और दूध से बने उत्पादों की विशेष रूप से सघन जांच के लिए हर जिले में टीमें बनाई जाएं जो लगातार सक्रिय रहते हुए मिलावटी खाद्य पदार्थों के मामलों को पकड़ें. इसके अलावा राज्य में नकली दवाओं की बिक्री करने वालों की भी धरपकड़ का अभियान चलाया जाए. राज्य में सक्रिय पेशेवर रक्तदाताओं की पहचान कर इस पर भी प्रभावी नियंत्रण करने के निर्देश सीएम योगी ने अधिकारियों को दिया है.

उन्होंने कहा है कि नकली दवाओं की बिक्री करने वालों को पकड़ने के लिए पुलिस के साथ विभागीय समन्वय को और बेहतर बनाया जाए ताकि प्रवर्तन कार्यवाहियों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके. सीएम योगी का कहना है कि आमजन का स्वास्थ्य राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इस जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी पारदर्शिता और प्रतिबद्धता के साथ होना चाहिए. 

‘फूड सेफ्टी कनेक्ट’पर दर्ज कराई जा सकेगी शिकायत

इसके पहले सीएम योगी ने राज्य में धरना प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने वाले व्यक्ति की फोटो सार्वजनिक स्थान पर लगाने का फैसला किया था. इस फैसले को जनता से सराहा था. इसी क्रम में अब सीएम योगी ने मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री को रोकने के लिए कदम उठाया है. जिसके तहत मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वालों की धरपकड़ तो होगी ही.

जनता का भी इस मामले में सहयोग लेने की व्यवस्था की गई गई.  बुधवार को हुई बैठक में अधिकारियों ने मिलावटी खाद्य पदार्थों बेचने वालों को पकड़ने के लिए बनाए गए ‘फूड सेफ्टी कनेक्ट’ नामक मोबाइल ऐप और टोल फ्री नंबर 1800-180-5533 को जनता के लिए उपलब्ध कराए जाने के बारे में सीएम को बताया गया.

सीएम योगी ने इस ऐप में दर्ज होने वाले शिकायतों को लेकर यह कहा है कि किसी भी शिकायत का निस्तारण तभी मान्य माना जाए जब शिकायतकर्ता संतुष्ट हो. इसके साथ ही सीएम योगी ने कहा अयोध्या, अलीगढ़ और सहारनपुर मंडलों में अगले महीने यानी जून से नई मंडलीय खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं में जांचें शुरू करने का आदेश भी दिया.

इन मंडलों में नई प्रयोगशालाओं के शुरू हो जाने से हर साल यहां 18 हजार अधिक नमूने जांचे जा सकेंगे.  राज्य में मौजूदा समय में लखनऊ, वाराणसी, झांसी, आगरा, मेरठ और गोरखपुर में  खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) की कुल छह प्रयोगशालाएं हैं.

इन प्रयोगशालाओं में सालाना करीब 36 हजार नमूनों की जांच की जाती हैं. तीन नए मंडलों में जून माह से नई प्रयोगशालाओं के शुरू होने से राज्य में हर साल 54 हजार नमूनों की जांच की जा सकेगी. मुख्यमंत्री ने इन प्रयोगशालाओं के संचालन व रखरखाव हेतु एक ‘कॉर्पस फंड’ स्थापित करने का सुझाव भी दिया.  

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