तो क्या RBI गवर्नर उर्जित पटेल नहीं मानेंगे मोदी सरकार की माँग? संसदीय समिति को दिए बयान से लग रहे हैं कयास
By पल्लवी कुमारी | Updated: November 28, 2018 10:59 IST2018-11-28T10:59:33+5:302018-11-28T10:59:33+5:30
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल समिति के समक्ष ऐसे समय पेश हुए हैं जब केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरा विवाद चल रहा है।

तो क्या RBI गवर्नर उर्जित पटेल नहीं मानेंगे मोदी सरकार की माँग? संसदीय समिति को दिए बयान से लग रहे हैं कयास
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने मंगलवार को संसद की एक समित के समक्ष पेश हुए। उन्होंने सरकार के नोटबंदी निर्णय का एक तरह से बचाव करते हुए सांसदों से कहा कि नोटबंदी का प्रभाव अस्थायी था और अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) केंद्रीय बैंक के पास करंसी रिजर्व्स का वर्तमान में जो स्तर है, वह अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए बनी रहनी चाहिए। ये कर्ज देने की क्षमता के लिए ऐसा करना आवश्यक है। उर्जित पटेल के ऐसा कहने के बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्रीय बैंक फिलहाल नरेन्द्र मोदी सरकार को कोई बड़ी रकम ट्रांसफर करने के पक्ष में नहीं है।
पटेल ने यह भी कहा कि है केंद्र सरकार को जल्द ही उच्च नकदी हस्तांतरण नहीं मिल सकता है। उन्होंने कहा कि देश की मुद्रा भंडार पर नियंत्रण रखना होगा।
अर्थव्यवस्था को लेकर आरबीआई गवर्नर सकारात्मक
पटेल ने वित्त स्थायी समिति को बताया, सामान्य जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें देश की जमा पूंजी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
पटेल ने देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में कहा, अर्थव्यवस्था की बुनियाद सुदृढ़ है और तेल के दाम के चार साल के उच्च स्तर से नीचे आने से और मजबूती मिलेगी। आरबीआई गवर्नर ने समिति के सदस्यों को बताया कि कर्ज में वृद्धि 15 प्रतिशत रही, मुद्रास्फीति घटकर 4 प्रतिशत पर आ गयी है और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) नकद अनुपात भी सुधरा है।
इस बैठक में उपस्थित सांसदों ने भी पटेल से कुछ अहम सवालों पर जवाब मांगे। सांसदों ने कहा कि कुछ विवादास्पद मुद्दों पर उर्जित पटेल को लिखित मे जवाब देना होगा। गवर्नर से 10 से 15 दिनों में लिखित जवाब देने को कहा गया। इन मुद्दों में सरकार की ओर से रिजर्व बैंक की उस धारा का प्रयोग करने का भी मुद्दा है जिसका उल्लेख इससे पहले किसी सरकार ने नहीं किया था।
सांसदों द्वारा उर्जित पटेल से पूछे गए कई अहम सवाल
- नोटबंदी से जुड़े कई सवाल पटेल से पूछे गए थे। मोदी सरकार के समर्थन करते हुए उन्होंने जवाब दिया कि इसका प्रभाव अस्थायी था। उन्होंने यह भी कहा कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत बनी है।
- देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े भी कई सवाल पुछे गए। सूत्रों के मुताबिक अर्थव्यवस्था को लेकर पटेल के विचार सकारात्मक थे। उन्होंने सरकार द्वारा विशेष शक्ति के उपयोग जैसे विवादास्पद सवालों का जवाब नहीं दिया और बुद्धिमानीपूर्वक अपनी बातें रखी।
- सदस्यों ने बासेल तीन के तहत बैंकों के लिये पूंजी पर्याप्तता नियम के क्रियान्वयन के बारे में सवाल पूछे। इस संदर्भ में गवर्नर ने कहा कि भारत जी-20 देशों को लेकर प्रतिबद्ध है और वैश्विक नियमों से बंधा है।
- आरबीआई गवर्नर ने आरबीआई कानून की धारा 7 के उपयोग, फंसे कर्ज, केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और अन्य जटिल मुद्दों के सवाल को टाल दिया।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति के सदस्य हैं।
आरबीआई गवर्नर समिति के समक्ष ऐसे समय पेश हुए हैं जब केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरा मतभेद है। इन मुद्दों में आरबीआई के पास पड़े आरक्षित कोष का उचित आकार क्या हो तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये कर्ज के नियमों में ढील के मामले शामिल हैं। इससे पहले, पटेल को 12 नवंबर को समिति के समक्ष उपस्थित होना था।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)