दिसंबर तक पूरी तरह परिचालन में आ जाएगा मेजा में उप्र का पहला सुपरक्रिटिकल बिजली संयंत्र : सीईओ
By भाषा | Published: November 15, 2020 12:19 PM2020-11-15T12:19:30+5:302020-11-15T12:19:30+5:30
(अभिषेक सोनकर)
नयी दिल्ली, 15 नवंबर मेजा ताप बिजली संयंत्र अगले महीने यानी दिसंबर तक पूरी तरह परिचालन में आ जाएगा। मेजा ऊर्जा निगम प्राइवेट लि. (एमयूएनपीएल) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) असीम कुमार सामंता ने यह जानकारी दी। यह उत्तर प्रदेश का पहला सुपरक्रिटिकल बिजली संयंत्र है।
एमयूएनपीएल सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी लि. और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि. (यूपीआरवीयूएनएल) का 50:50 का संयुक्त उद्यम है।
इस संयुक्त उद्यम का गठन 2008 में राज्य के प्रयागराज जिले से करीब 45 किलोमीटर दूर मेजा में 1,320 मेगावॉट (2 गुणा 660 मेगावॉट) का कोयला आधारित ताप बिजली संयंत्र लगाने के लिए किया गया था।
सामंता ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘‘सुपरक्रिटिकल संयंत्र की पहली इकाई 30 अप्रैल, 2019 से चालू हो गई है। दूसरी इकाई वाणिज्यिक परिचालन के लिए तैयार है। यह अगले महीने से चालू हो जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि दूसरी इकाई चालू होने के बाद यह संयंत्र पूरी तरह परिचालन में आ जाएगा। सामंता ने बताया कि यह संयंत्र सड़क के जरिये प्रयागराज से जुड़ा हुआ है।
सीईओ ने कहा कि मेजा संयंत्र का अपना 28 किलोमीटर का ढुलाई गलियारा है, जिससे कोयले जैसी महत्वपूर्ण सामग्री को रेल के जरिये संयंत्र में लाने में मदद मिलती है। यह संयंत्र बिजोरा गांव में 30 किलोमीटर की पाइपलाइन के नेटवर्क के जरिये गंगा नदी से भी जुड़ा हुआ है। इससे औद्योगिक इस्तेमाल के लिए पानी लाने में मदद मिलती है।
सामंता ने कहा कि मेजा ताप बिजली स्टेशन उत्तर प्रदेश का पहला सुपरक्रिटिकल बिजली संयंत्र (एससीपीपी) है। एससीपीपी की विशेषज्ञताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह सब-क्रिटिकल बिजली संयंत्रों की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक दक्ष होता है। इसमें 20 प्रतिशत कम कोयले का इस्तेमाल होता है तथा कॉबर्न उत्सर्जन भी कम होता है।
सुपरक्रिटिकल कोयला संयंत्र आधुनिक डिजाइन वाला कोयला आधारित बिजली संयंत्र होता है। परंपरागत कोयला संयंत्रों की तुलना में इसमें पानी एक सुपरक्रिटिकल तरह पदार्थ के रूप में काम करता है। इसमें सामान्य संयंत्र की तुलना में पानी के लिए कम गर्मी स्थानांतरित करने की जरूरत होती है जिससे कोयला कम लगता है।
सामंता ने बताया, ‘‘हम संयंत्र और आसपास के क्षेत्रों में कई कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पहल चला रहे हैं। हमने समुदायों के लिए बुनियादी ढांचा भी लगाया है और वृक्षारोपण भी किया है।’’
इस संयंत्र से उत्पादित बिजली के इस्तेमाल के बारे में सामंता ने कहा कि ग्रिड के जरिये बिजली की आपूर्ति कई राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को की जाएगी। उन्होंने बताया कि संयंत्र से उत्पादित 82 प्रतिशत बिजली की खपत उत्तर प्रदेश में होगी। पांच प्रतिशत बिजली राजस्थान को, 4.8 प्रतिशत जम्मू-कश्मीर को, 3.6 प्रतिशत पंजाब, 2.8 प्रतिशत उत्तराखंड को और शेष चंडीगढ़ और मध्य प्रदेश को दी जाएगी।
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