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सरकार ने कहा, नये आईटी नियम अभिव्यक्ति की आजादी के अनुरूप

By भाषा | Updated: November 1, 2021 22:24 IST

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नयी दिल्ली, एक नवंबर सकार ने सोमवार को कहा कि नये सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम संविधान में बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अनुरूप हैं। ये उपयोगकर्ताओं पर कोई अतिरिक्त बाध्यता नहीं डालते।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशानिर्देशों के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू) जारी करते हुए कहा कि नियम का मकसद लोगों की ‘ऑनलाइन’ निजता का संरक्षण करना है। यहां तक कि सबसे पहले संदेश भेजने वाले यानी संदेश की उत्पत्ति के स्रोत की पहचान के संबंध में भी यह सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपाय मौजूद हैं कि उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता का उल्लंघन न हो।

कुल मिलाकर एफएक्यू के जरिये उन सवालों के जवाब दिये गये गये हैं, जिसको लेकर इंटरनेट और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के मन में नये नियमों को लेकर प्रश्न हो सकते हैं। इसके माध्यम से यह बताया गया है कि कैसे नियम महिला और बच्चों की सुरक्षा को बढ़ाते हैं और किस प्रकार मध्यस्थ जांच-परख का काम करते हैं।

एफएक्यू में एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि नियम बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करते।

एक प्रश्न में मंत्रालय ने कहा कि नियम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को सीमित या उसका उल्लंघन नहीं करता है।

इसमें कहा गया है, ‘‘नए आईटी नियम, 2021 को इन अधिकारों के अनुरूप तैयार किया गया है। नियम उपयोगकर्ताओं पर कोई अतिरिक्त दायित्व का निर्धारण नहीं करते हैं और न ही उपयोगकर्ताओं पर दंड लगाने की कोई बात है।’’

मंत्रालय ने यह भी कहा कि नियम 'सोशल मीडिया मध्यस्थ' को एक मध्यस्थ के रूप में परिभाषित करते हैं जो मुख्य रूप से या पूरी तरह से दो या दो से अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच ऑनलाइन बातचीत को सक्षम बनाता है। साथ ही उन्हें अपनी सेवाओं का उपयोग करके किसी चीज को सृजित करने, अपलोड करने, साझा करने, प्रसारित करने, संशोधित करने या सूचना तक पहुंच की अनुमति देता है।

मंत्रालय ने 20 पेज के दस्तावेज में कहा कि आमतौर पर कोई भी मध्यस्थ जिसका प्राथमिक उद्देश्य वाणिज्यिक या व्यवसाय-उन्मुख लेनदेन को सक्षम करना है, इंटरनेट या खोज-इंजन सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना, ई-मेल सेवा या ऑनलाइन भंडारण सेवा उपलब्ध कराना है, वे सोशल मीडिया मध्यस्थ की श्रेणी में नहीं आएंगे।

मंत्रालय अलग से आईटी नियमों और मध्यस्थ मानदंडों का लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और मध्यस्थ नियम जारी करेगा जिसमें उपयुक्त एजेंसियों का विवरण होगा, जिनके पास मंचों को नोटिस जारी करने का अधिकार होगा।

आईटी नियम, 2021 किसी भी मध्यस्थ मंच का उपयोग करने वाले सामान्य उपयोगकर्ताओं के लाभ के लिए है। ये मानदंड उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं और एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से मंचों की जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं।

एफएक्यू जारी करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इंटरनेट में बहुत कुछ अच्छी चीजें हैं। इंटरनेट सुशासन देने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। यह व्यक्ति के लिए सरकार तक पहुंचने एक महत्वपूर्ण जरिया है।

उन्होंने कहा कि इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए खुला, सुरक्षित और भरोसेमंद होना चाहिए साइबरस्पेस ऐसी जगह नहीं हो सकती, जहां अपराध को शरण मिले। ‘‘इसीलिए नीति के जरिये अच्छी चीजों को बढ़ावा देने और गलत चीजों का समाधान करने की जरूरत है।’’

भारत ने इस साल की शुरुआत में नए आईटी मध्यस्थ नियम लागू किए। इसका उद्देश्य ट्विटर और फेसबुक सहित बड़ी तकनीकी कंपनियों के लिए अधिक जवाबदेही लाना है।

नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया मंचों को प्राधिकरणों की तरफ से किसी सामग्री को लेकर आपत्ति जताये जाने के बाद 36 घंटे के भीतर उसे हटाने की जरूरत है। साथ ही देश में अधिकारी की तैनाती के साथ एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है।

सोशल मीडिया कंपनियों को शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर अश्लीलता या छेड़छाड़ कर लगाये गये फोटो वाले पोस्ट को हटाने की जरूरत होती है।

प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों को मासिक आधार पर अनुपालन रिपोर्ट भी देने की जरूरत है। इसमें उन्हें प्राप्त शिकायतों और उसे दूर करने के लिये उठाये गये कदमों के मामले में जानकारी देनी होगी। प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों में वे इकाइयां शामिल हैं, जिनके उपयोगकर्ताओं की संख्या 50 लाख से अधिक है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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