तेजस फाइटर जेट बनाने वाली एचएएल शेयरों में आई तेजी, 2 लाख करोड़ के पार पहुंचा बाजार मूल्यांकन
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: January 5, 2024 04:29 PM2024-01-05T16:29:33+5:302024-01-05T16:31:01+5:30
5 जनवरी को, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के शेयरों में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई जो पिछले एक साल में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर शुक्रवार को एचएएल के शेयर की कीमत बढ़कर ₹3078.8 हो गई।
नई दिल्ली: तेजस फाइटर जेट के निर्माण के लिए मशहूर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल) के शेयरों में शुक्रवार को बड़ी तेजी देखी गई। कंपनी का बाजार मूल्यांकन बढ़कर ₹2 लाख करोड़ के पार पहुंच गया। 5 जनवरी को, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के शेयरों में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई जो पिछले एक साल में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर शुक्रवार को एचएएल के शेयर की कीमत बढ़कर ₹3078.8 हो गई।
यह एचएएल में अब तक ₹954.6 करोड़ मूल्य के कुल 31,57,100 इक्विटी शेयरों के बदले जाने के बाद आया है। फाइटर जेट निर्माता पिछले कुछ वर्षों से शेयर बाजार में औंधे मुंह गिर रहा है लेकिन शेयरों में अचानक आई तेजी का श्रेय वैश्विक ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस की हालिया रिपोर्ट को दिया गया है।
यूबीएस ने यह विश्वास व्यक्त करते हुए कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के पास वैश्विक रक्षा बाजारों में उच्च क्षमता है, कंपनी के शेयर खरीदने के लिए सही बताया था। ब्रोकरेज ने कहा कि एचएएल का अनुमानित शेयर मूल्य ₹3600 हो सकता है, जो गुरुवार के बंद भाव से 23.88% अधिक है।
यूबीएस ने आगे भविष्यवाणी की कि पिछले कुछ बाजार सत्रों में सपाट वृद्धि के बाद एचएएल को वित्त वर्ष 2023 में अपनी ऑर्डर बुक ₹80,000 करोड़ से तीन गुना बढ़कर वित्तीय वर्ष में ₹2.4 लाख करोड़ होने की उम्मीद है। वर्तमान में एचएएल के पास 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर की ऑर्डर बुक हैं। यूएसबी ने कहा कि उसे अगले 5-7 वर्षों में अपनी वृद्धि को तीन गुना करने के लिए अब से वित्त वर्ष 2028 तक अनुमानित 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा विमानों के अधिक ऑर्डर की आवश्यकता है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल) के शेयरों के रफ्तार पकड़ने की बड़ी वजह 97 तेजस विमानों का भारतीय वायुसेना की तरफ से दिया गया ऑर्डर है। इसके अलावा एचएएल सुखोई विमानों को अपग्रेड करने का काम भी कर रहा है। भारी संख्या में लगातार मिल रहे ऑर्डर से कंपनी की साख वैश्विक स्तर पर भी बढ़ रही है।