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टाटा संस में होगी साइरस मिस्त्री की वापसी, NCLAT के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी टाटा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 19, 2019 08:32 IST

साइरस मिस्त्री टाटा सन्स के छठे चेयरमैन थे और उन्हें इस पद से अक्तूबर 2016 में हटा दिया गया था।

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ठळक मुद्देटाटा सन्स 18 जनवरी से पहले इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी।एनसीएलएटी की दो सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाते हुए एन. चंद्रशेखरन की इस पद पर नियुक्ति को गैरकानूनी बताया है।

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (एनसीएलएटी) ने दिग्गज कारोबारी रतन टाटा को झटका देते हुए साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा सन्स का एग्जिक्युटिव चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया है। NCLAT के फैसले के खिलाफ टाटा संस सुप्रीम कोर्ट जाएगी। वर्ष 2016 में पद से हटाए जाने के बाद से मिस्त्री की यह सबसे बड़ी जीत है। हालांकि, न्यायाधिकरण ने कहा कि बहाली आदेश चार सप्ताह बाद अमल में आएगा। टाटा सन्स को अपील करने के लिए यह समय दिया गया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार, टाटा संस की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि एनसीएलएटी के फैसले से हमलोग निराश हैं। सारी कानूनी प्रकियाएं अपनाई जाएंगी जिनमें सुप्रीम कोर्ट जाने का भी विकल्प है। सिंघवी ने बताया कि टाटा सन्स 18 जनवरी से पहले इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी।

बुधवार (18 दिसंबर) को एनसीएलएटी की दो सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाते हुए एन. चंद्रशेखरन की इस पद पर नियुक्ति को गैरकानूनी बताया है। एनसीएलएटी में यह याचिका मिस्त्री और दो निवेशक फर्म की ओर से दाखिल की गई थी। जुलाई में एनसीएलएटी ने फैसला सुरक्षा रख लिया था।

क्या है पूरा मामला

साइरस मिस्त्री टाटा सन्स के छठे चेयरमैन थे और उन्हें इस पद से अक्तूबर 2016 में हटा दिया गया था। रतन टाटा के बाद उन्होंने 2012 में चेयरमैन का पदभार ग्रहण किया था। टाटा परिवार से बाहर के दूसरे चेयरमैन थे मिस्त्री उल्लेखनीय है कि टाटा सन्स के निदेशक मंडल ने 24 अक्तूबर, 2016 को एक हैरान करने वाला कदम उठाते हुए मिस्त्री को चेयरमैन पद से बर्खास्त कर दिया था। वह दिसंबर, 2012 में टाटा सन्स के चेयरमैन बने थे। समूह के 150 वर्ष के इतिहास में मिस्त्री चेयरमैन बनने वाले टाटा परिवार से बाहर के दूसरे व्यक्ति थे। उनके पहले 1934-38 के दौरान टाटा समूह से बाहर के नवरोजी सकलतवाला समूह के चेयरमैन थे।

यह सिद्धांतों की जीत 

साइरस मिस्त्री ने एनसीएलएटी के आदेश को व्यक्तिगत जीत से इनकार करते हुए इसे बेहतर संचालन व्यवस्था के सिद्धांतों और अल्पांश शेयरधारकों के अधिकारों की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि अपील पर फैसला मेरे उस समय के रुख को उचित ठहराता है जब मुझे कार्यकारी चेयरमैन के पद और उसके बाद टाटा संस के निदेशक मंडल से हटाया गया था। मिस्त्री ने कहा, ''पिछली कड़वाहटों को भुलाते हुए यह वक्त टाटा समूह की सतत वृद्धि और विकास के लिये सभी के साथ मिलकर काम करने का है।''

टॅग्स :टाटारतन टाटासुप्रीम कोर्ट
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