SC ने बदला टैक्स संबंधी अपना 21 साल पुराना फैसला, अब करदाता को नहीं, सरकार को मिलेगा फायदा
By भाषा | Published: July 31, 2018 06:41 PM2018-07-31T18:41:34+5:302018-07-31T18:41:34+5:30
शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 1997 में अपने निर्णय में कहा था कि कर से छूट संबंधी किसी प्रावधान या अधिसूचना को लेकर अस्पष्टता होने की स्थिति में इसके लाभ का दावा करने वाले कर दाता के पक्ष में इसकी व्याख्या की जानी चाहिए।
नई दिल्ली, 31 जुलाईः सुप्रीम कोर्ट ने कर से छूट संबंधी अपना 21 साल पुराना एक निर्णय बदलते हुए व्यवस्था दी है कि कर में छूट से संबंधित अधिसूचना में किसी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में इसका व्याख्या का लाभ शासन के पक्ष में किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 1997 में अपने निर्णय में कहा था कि कर से छूट संबंधी किसी प्रावधान या अधिसूचना को लेकर अस्पष्टता होने की स्थिति में इसके लाभ का दावा करने वाले कर दाता के पक्ष में इसकी व्याख्या की जानी चाहिए। लेकिन, अब 21 साल बाद न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था को बदल दिया।
उन्होंने कहा है कि इस तरह की अस्पष्टता की व्याख्या का लाभ शासन के पक्ष में होना चाहिए। पीठ ने कहा है कि छूट से संबंधित सरकार की अधिसूचना में अस्पष्टता की सख्ती से व्याख्या की जानी चाहिए और करदाता अस्पष्टता के लाभ का दावा नहीं कर सकता।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौडार और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। पीठ ने व्यवस्था दी कि सन एक्सपोर्ट मामले में न्यायालय की पहले की इस व्यवस्था को अमान्य कर दिया कि कर छूट संबंधी किसी अधिसूचना को लेकर यदि दो प्रकार की व्याख्या आ रही हों तो करदाता के पक्ष में आयी व्याख्या को वरीयता दी जानी चाहिए।
ताजा फैसले में न्यायालय ने कहा कि ‘ इस सिद्धांत से भ्रम की स्थितियां पैदा हुईं और इसका परिणाम असंतोषजनक कानूनी व्यवस्था के रूप में आया।’
देश-दुनिया की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें. यूट्यूब चैनल यहां सब्सक्राइब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट!