मोदी सरकार के शीर्ष अधिकारियों से मिले उद्योगपति सुनील भारती मित्तल, ये है बड़ा कारण
By भाषा | Published: October 29, 2019 06:10 AM2019-10-29T06:10:13+5:302019-10-29T06:10:13+5:30
उद्योगपति सुनील भारती मित्तल ने पहले प्रसाद से और उसके बाद दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश से मुलाकात की। स्पष्ट तौर पर उनकी मुलाकात समायोजित सकल आय पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय से खड़ी देनदरी को लेकर लेकर हुई।
दिग्गज उद्योगपति सुनील भारती मित्तल सोमवार को दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद समेत सरकार के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की। उनकी यह मुलाकात इस क्षेत्र की कंपनियों पर स्पेक्ट्रम ओर लाइसेंस शुल्क के रूप में अरबों डालर के कानूनी बकाये को लेकर हुई। मित्तल की कंपनी सहित दूरसंचार क्षेत्र की कई कंपनियों ने अपने लेखा-जोखा में ऐसे बकायों के लिए पूरी तरह प्रावधान नहीं किया है।
सूत्रों के अनुसार मित्तल ने पहले प्रसाद से और उसके बाद दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश से मुलाकात की। स्पष्ट तौर पर उनकी मुलाकात समायोजित सकल आय पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय से खड़ी देनदरी को लेकर लेकर हुई।
दूरसंचार कंपनियां की आय में सरकार के सांविधिक हिस्से की गणना के लिए आय की गणना कैसे की जाए , इस बार में न्यायालय सरकार के दृष्टिकोण को सही करार दिया है। वोडाफोन-आइडिया लि. के प्रमुख कुमार मंगलम बिड़ला को भी सोमवार को इन मुलाकातों में शामिल होना था लेकिन उन्होंने अलग से समय मांगा है।
शीर्ष अदालत के निर्णय से वोडाफोन-आइडिया पर भी असर पड़ा है। उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर को सरकार की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि दूरसंचार समूह में अन्य स्रोत से आय को समायोजित सकल आय में शामिल करना चाहिए। इसी रकम पर कानूनी शुल्क वसूला जाएगा।
सूत्रों के अनुसार दूरंसचार कंपनियां संभावित राहत के लिये सरकार की ओर देख रही हैं। वे चाहती हैं कि सरकार जुर्माने और ब्याज से राहत दे। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कंपनियों को ब्याज और जुर्माना समेत शुल्क देना होगा। कंपनियों को कानूनी विवाद से उत्पन्न होने वाली किसी भी संभावित देनदारी के लिये अपने बही-खातों में प्रावधान करने की जरूरत होती है।
उच्चतम न्यायालय के आदेश और प्रावधान को लेकर पड़ने वाले प्रभाव के संदर्भ में भारती एयरअेल और वोडाफोन-आइउिया को ई-मेल भेजे गये लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। उद्योग सूत्रों का कहना है कि पूरी राशि के लिये प्रावधान नहीं किये गये। कंपनियों ने सरकार के साथ बैठक के बारे में अलग से भेजे गये ई-मेल के बारे में भी कोई जवाब नहीं दिया।
दूरसंचार विभाग के आकलन के अनुसार लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क समेत भारती एयरटेल पर देनदारी 42,000 करोड़ रुपये बैठती है जबकि वोडाफोन-आइडिया 40,000 करोड़ रुपये देने पड़ सकते हैं।