Share Market: सीमित दायरे में रह सकता है शेयर बाजार, वैश्विक संकेतों से तय होगी धारणा

By भाषा | Published: November 17, 2019 06:50 PM2019-11-17T18:50:05+5:302019-11-17T18:50:05+5:30

एपिक रिसर्च के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मुस्तफा नदीम के अनुसार, ‘‘सप्ताह के दौरान चीन के ब्याज दर के बारे में निर्णय और अन्य आंकड़े अमेरिका से आ रहे हैं। हांगकांग में स्थिति खराब हुई है क्योंकि पुलिस ने शहर में व्यवस्था के ध्वस्त होने की चेतावनी दी है।

Share Market: Stock market may remain limited, perception will be decided by global signals | Share Market: सीमित दायरे में रह सकता है शेयर बाजार, वैश्विक संकेतों से तय होगी धारणा

Share Market: सीमित दायरे में रह सकता है शेयर बाजार, वैश्विक संकेतों से तय होगी धारणा

घरेलू शेयर बाजार इस सप्ताह सीमित दायरे में रह सकता है और अमेरिका-चीन व्यापार समझौता समेत वैश्विक प्रवृत्तियों से धारणा प्रभावित हो सकती है। विश्लेषकों ने यह बात कही है। सैमको सिक्युरिटीज एंड स्टॉक नोट के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी जिमीत मोदी ने कहा, ‘‘चूंकि तिमाही परिणाम लगभग आ गये हैं, बाजार पर अंतरराष्ट्रीय कारकों का असर होगा। इसमें अमेरिका-चीन व्यापार समझौता शामिल है। कोई सकारात्मक संकेतकों के अभाव में बाजार नरम और सीमित दायरे में रह सकता है।’’

एपिक रिसर्च के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मुस्तफा नदीम के अनुसार, ‘‘सप्ताह के दौरान चीन के ब्याज दर के बारे में निर्णय और अन्य आंकड़े अमेरिका से आ रहे हैं। हांगकांग में स्थिति खराब हुई है क्योंकि पुलिस ने शहर में व्यवस्था के ध्वस्त होने की चेतावनी दी है। अगर अमेरिका और चीन व्यापार युद्ध में कमी लाने या अंतरिम व्यापार समझौता करने पर सहमत होते हैं, बाजार पर इसका सकारात्मक असर पड़ सकता है।’’ पिछले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स में मामूली 33 अंक की वृद्धि हुई।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक मोर्चे पर अमेरिका-चीन व्यापार समझौते में प्रगति के संकेत हैं। इसका वैश्विक बाजारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हालांकि, घरेलू वृहत आर्थिक आंकड़ों से निवेशकों को भरोसा नहीं मिल रहा। लेकिन हाल के समय में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये सरकार और आरबीआई की तरफ से कुछ ठोस कदम देख रहे हैं जिसका निवेशकों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में आरबीआई मुद्रास्फीति में वृद्धि के बजाए आर्थिक वृद्धि को गति देने पर ध्यान दे सकता है। इससे केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कुछ और कटौती कर सकता है और उसका लाभ ग्राहकों पर देने पर जोर दे सकते हैं।’’ 

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