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RBI Monetary Policy Committee: एमपीसी रेपो दर पर शुक्रवार को फैसला, मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू, ब्याज दर पर क्या करेगा रिजर्व बैंक!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 03, 2024 5:16 PM

Reserve Bank RBI Monetary Policy Committee: ऐसी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक एक बार फिर प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखेगा और मुद्रास्फीति नियंत्रण पर अपना ध्यान बनाए रखेगा।

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ठळक मुद्देआर्थिक वृद्धि दर को लेकर चिंताएं कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही ध्यान रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा है।एक अप्रैल से शुरू हुए नए वित्त वर्ष में एमपीसी की कुल छह बैठकें आयोजित होंगी।

Reserve Bank RBI Monetary Policy Committee: नीतिगत ब्याज दर पर निर्णय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक बुधवार को शुरू हो गई। तीन दिन तक चलने वाली बैठक में केंद्रीय बैंक की एमपीसी रेपो दर के संबंध में निर्णय करेगी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी के फैसले की घोषणा शुक्रवार को की जाएगी। ऐसी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक एक बार फिर प्रमुख नीतिगत दर रेपो को यथावत रखेगा और मुद्रास्फीति नियंत्रण पर अपना ध्यान बनाए रखेगा।

आर्थिक वृद्धि दर को लेकर चिंताएं कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति पर ही ध्यान रहने की उम्मीद है। यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा है। एक अप्रैल से शुरू हुए नए वित्त वर्ष में एमपीसी की कुल छह बैठकें आयोजित होंगी। आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो दर में बढ़ोतरी की थी और तब से यह लगातार 6.5 प्रतिशत पर बरकरार है।

पिछली छह द्विमासिक नीतियों में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया। गवर्नर दास की अध्यक्षता वाली समिति में शशांक भिड़े, आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा, राजीव रंजन और माइकल देबब्रत पात्रा भी शामिल हैं। सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे।

फरवरी के महीने में खुदरा मुद्रास्फीति दर 5.1 प्रतिशत थी। विशेषज्ञों ने कहा कि एमपीसी बैठक में अमेरिका और ब्रिटेन जैसी कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों के रुख पर तवज्जो दी जा सकती है। ये केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती को लेकर फिलहाल ‘देखो और इंतजार करने’ की स्थिति में हैं।

स्विट्जरलैंड ब्याज दरों में कटौती करने वाली पहली बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जबकि दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था जापान ने नकारात्मक ब्याज दरों का सिलसिला हाल ही में खत्म कर दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि मौद्रिक नीति में उदार रुख को वापस लेना जारी रह सकता है।

इसमें चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जाकर पहली दर में कटौती की संभावना जताई गई है। आरबीआई से उम्मीदों पर हाउसिंग डॉट कॉम के समूह मुख्य कार्यपालक अधिकारी ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि मजबूत आर्थिक वृद्धि के बीच केंद्रीय बैंक इस नीतिगत समीक्षा में रेपो दर पर यथास्थिति बनाए रख सकता है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वृद्धि दर के अनुमान को संशोधित कर क्रमशः 8.2 और 8.1 प्रतिशत कर दिया है। पिछले वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही थी।

टॅग्स :भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)शक्तिकांत दास
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