RBI Interest Rate Hike: कर्ज लेना महंगा होगा, रेपो दर में बढ़ोतरी, जानें मुख्य बातें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 4, 2022 04:20 PM2022-05-04T16:20:31+5:302022-05-04T16:21:28+5:30
RBI Interest Rate Hike: एमपीसी की बैठक में सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर बढ़ाने का निर्णय किया। दूसरी तरफ उदार रुख को भी कायम रखा गया है।
RBI Interest Rate Hike: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया। मुख्य रूप से बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। इस कदम से कंपनियों और लोगों के लिये कर्ज लेना महंगा होगा।
खुदरा मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने से लक्ष्य की उच्चतम सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बुधवार को बिना तय कार्यक्रम के बुलाई गई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत करने का भी निर्णय किया गया। इससे बैंकों के पास 87,000 करोड़ रुपये की नकदी घटेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की बिना तय कार्यक्रम के आयोजित बैठक में लिए गए मुख्य फैसले:
* नीतिगत दर (रेपो) को तत्काल प्रभाव से 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत किया गया।
* अगस्त, 2018 से नीतिगत दर में पहली बढ़ोतरी, कॉरपोरेट और आम लोगों के लिए उधार की लागत बढ़ेगी।
* नकद आरक्षित अनुपात को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत किया गया, 21 मई से प्रभावी।
* एमपीसी ने दो मई और चार मई को बिना तय कार्यक्रम के बैठक आयोजित कर मुद्रास्फीति की स्थिति का पुनर्मूल्यांकन किया।
* आरबीआई ने उदार नीति बनाए रखने का फैसला किया। साथ ही महंगाई को लक्ष्य के भीतर रखने के लिए उदार रुख को धीरे-धीरे वापस लेने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
* वैश्विक जिंस कीमतों के चलते भारत में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ रही है।
* प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कोविड-19 संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने लॉकडाउन और आपूर्ति श्रृंखला संबंधी व्यवधान से लॉजिस्टिक लागत बढ़ सकती है।
* भारतीय अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक परिस्थितियों में गिरावट का सामना करने में सक्षम है।
* उर्वरक की कीमतों में उछाल और अन्य लागत का भारत में खाद्य कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
* वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी से घरेलू कीमतें प्रभावित हो रही हैं, भले ही घरेलू आपूर्ति पर्याप्त बनी रहे।
* एमपीसी की अगली बैठक 6-8 जून को होगी।
सीआरआर से आशय बैंक की उस जमा से है, जिसे बैंकों को नकद रूप में रखने की जरूरत होती है। नकद आरक्षित अनुपात में वृद्धि 21 मई से प्रभाव में आएगी। यह अगस्त, 2018 के बाद रेपो दर में पहली वृद्धि है। इसी तरह यह पहला उदाहरण है, जब एमपीसी ने बिना किसी निर्धारित कार्यक्रम के बैठक आयोजित कर ब्याज दरें बढ़ाई हैं।