दक्षिण एशियाई देशों के लिए मुद्रास्फीति पर लगाम लगाना प्राथमिकताः आरबीआई गवर्नर

By भाषा | Updated: January 6, 2023 19:34 IST2023-01-06T19:33:13+5:302023-01-06T19:34:40+5:30

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति के अलावा बाह्य कर्ज से जुड़ी कमजोरियों में कमी लाना, अधिक उत्पादक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, ऊर्जा सुरक्षा पर जोर देना और एक हरित अर्थव्यवस्था के लिए सहयोग बढ़ाने पर दक्षिण एशियाई क्षेत्र को ध्यान देना चाहिए।

RBI Governor Shaktikanta Das Says Curbing Inflation A Priority For South Asian countries | दक्षिण एशियाई देशों के लिए मुद्रास्फीति पर लगाम लगाना प्राथमिकताः आरबीआई गवर्नर

दक्षिण एशियाई देशों के लिए मुद्रास्फीति पर लगाम लगाना प्राथमिकताः आरबीआई गवर्नर

Highlightsदास ने कहा कि मौजूदा संदर्भ में समूचे इलाके के लिए कीमत स्थिरता को प्राथमिकता देना सबसे अच्छा नीतिगत विकल्प हो सकता है।उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों को पिछले कुछ वर्षों में कई बाह्य झटकों का सामना करना पड़ा है।उन्होंने कहा कि इन बाहरी झटकों ने दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में कीमतों पर लगातार दबाव डाला है।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि भारत जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए मुद्रास्फीति पर लगाम लगाना शीर्ष प्राथमिकता है क्योंकि अनियंत्रित कीमतें वृद्धि और निवेश परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं। दास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कर्जों का बढ़ता स्तर और कीमतों में बढ़ोतरी का अनवरत दबाव इस क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि के लिए जोखिम हैं लिहाजा इन दोनों पर ही काबू पाना होगा। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों को पिछले कुछ वर्षों में कई बाह्य झटकों का सामना करना पड़ा है।

कोविड-19 महामारी से वैश्विक आपूर्ति शृंखला बाधित होने के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध से खाद्य एवं ऊर्जा संकट पैदा हुआ और आक्रामक ढंग से मौद्रिक नीतियों को सख्त किए जाने से वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति पैदा हुई। उन्होंने कहा कि इन बाहरी झटकों ने दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में कीमतों पर लगातार दबाव डाला है। आरबीआई गवर्नर ने कहा, "हालांकि पिछले कुछ महीनों में जिंस उत्पादों के दाम कम होने और आपूर्ति शृंखला की अड़चनें दूर होने से आगे मुद्रास्फीति में कमी आनी चाहिए। अगर मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर बनी रहती है तो फिर वृद्धि और निवेश परिदृश्य के जोखिम बढ़ सकते हैं।"

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के देश आयातित जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भर होने से आयातित ईंधन मुद्रास्फीति की चपेट में आ जाते हैं। दास ने कहा, "मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए विश्वसनीय मौद्रिक नीति उपायों के साथ आपूर्ति पक्ष से जुड़े लक्षित हस्तक्षेप, राजकोषीय, व्यापार नीति एवं प्रशासनिक सुधार भी अहम साधन बन गए हैं।" खुद आरबीआई ने पिछले साल मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए सात महीनों में पांच बार रेपो दर बढ़ाने का कदम उठाया। इस दौरान रेपो दर में सम्मिलित रूप से 2.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह अब 6.25 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है। हालांकि नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति के घटकर 5.88 प्रतिशत पर आने से आरबीआई को थोड़ी राहत मिली है।

दास ने कहा कि मौजूदा संदर्भ में समूचे इलाके के लिए कीमत स्थिरता को प्राथमिकता देना सबसे अच्छा नीतिगत विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा, "हालांकि अवस्फीति को लेकर हमारा नजरिया वैश्विक वृद्धि एवं व्यापार में गिरावट की आशंकाओं के बीच वृद्धि परिदृश्य को लेकर बढ़ते जोखिम को ध्यान में रखते हुए बनना चाहिए।" उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के अलावा बाह्य कर्ज से जुड़ी कमजोरियों में कमी लाना, अधिक उत्पादक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, ऊर्जा सुरक्षा पर जोर देना और एक हरित अर्थव्यवस्था के लिए सहयोग बढ़ाने पर दक्षिण एशियाई क्षेत्र को ध्यान देना चाहिए।

Web Title: RBI Governor Shaktikanta Das Says Curbing Inflation A Priority For South Asian countries

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