विद्युत क्षेत्र के इंजीनियरों, कर्मचारियों ने बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ राज्यों में किये सम्मेलन

By भाषा | Updated: July 29, 2021 18:12 IST2021-07-29T18:12:00+5:302021-07-29T18:12:00+5:30

Power sector engineers, employees hold conferences in states against Electricity Amendment Bill | विद्युत क्षेत्र के इंजीनियरों, कर्मचारियों ने बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ राज्यों में किये सम्मेलन

विद्युत क्षेत्र के इंजीनियरों, कर्मचारियों ने बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ राज्यों में किये सम्मेलन

नयी दिल्ली, 29 जुलाई विद्युत क्षेत्र में काम करने वाले इंजीनियरों के संगठन एआईपीईएफ ने बृहस्पतिवार को कहा कि क्षेत्र के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 के विरोध में विभिन्न प्रदेशों में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किये हैं।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने एक बयान में कहा, ‘‘बिजली क्षेत्र के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 के विरोध में विभिन्न प्रदेशों में सम्मेलन आयोजित किये हैं। केंद्र सरकार का उन लोगों को लेकर रुख उदासीन है।’’

बिजली कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सम्मेलन किया और उनके कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा।

सम्मेलन बेंगलुरु, त्रिची, हैदराबाद, चंडीगढ़ और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों के मुख्यालयों में भी आयोजित किये गये।

एआईपीईएफ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने कहा कि संयोजक प्रशांत चौधरी के नेतृत्व में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को बिजली सचिव आलोक कुमार से मुलाकात की तथा बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपा।

प्रतिनिधिमंडल में एआईपीईएफ महासचिच रत्नाकर राव भी शामिल थे।

प्रतिनिधिमंडल ने बिजली सचिव से पूछा कि कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के साथ संबंधित पक्षों के रूप में व्यवहार क्यों नहीं किया जा रहा है और सरकार उनसे चर्चा किये बिना एकतरफा कदम उठा रही है।

बयान के अनुसार बिजली सचिव ने कहा कि संगठनों की चिंताओं पर पहले ही विचार किया जा चुका है। ऐसे में बिजली क्षेत्र के इंजीनियरों और कर्मचारियों के पास बिजली वितरण के निजीकरण के प्रयासों का पुरजोर विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

गुप्ता ने कहा कि अब यह संसद की जिम्मेदारी है कि जब भी विधेयक को पेश किया जाए तो उस पर ध्यान से विचार करें और ऊर्जा पर स्थायी समिति द्वारा एक विस्तृत जांच प्रक्रिया की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में पारित विधेयक अपने इच्छित परिणामों को प्राप्त करने में विफल हो सकता है।

संगठन के अनुसार प्रस्तावित सुधार से लाभ के बजाए नुकसान है। इससे वंचित तबका प्रभावित होगा और घरेलू तथा कृषि उपभोक्ताओं के लिए शुल्क दरों में वृद्धि होगी। इससे समाज के केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को ही लाभ होगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Power sector engineers, employees hold conferences in states against Electricity Amendment Bill

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे